NEWS BY: Pulse24 News
उत्तरकाशी , उत्तराखंड – कहते हैं न सड़क आयेगी तो विकास के द्वारा खुलेंगे ओर लोग विकास की किरणों से अपने भविष्य की कल्पनाओं को हकीकत में बदलेंगे पर विकास क्या मायने रखता है , आज हम हकीकत बताते हैं। जनपद उत्तरकाशी का सीमांत विकास खंड भट्टवाडी जिसमें सरकार वाईब्रेंट ब्लेज़ को विकसित करने के लिए अपनी सारी मशीनरी लगा रखी है और हवाई जहाज से मंत्री यहां शिलान्यास कर भी रहे हैं , पर हम जिस गांव की आज बात कर रहे हैं वह जनपद मुख्यालय के नजदीक एवं विकास खंड कार्यालय कुछ ही किलोमीटर दूर है। ईको सेंसिटिव जोन की मार झेलते झेलते इस गांव को 2021 में प्रधानमंत्री सड़क योजना की सोगात तो मिली पर विभाग एवं ठेकेदार की जमींदारी से आजादी के बाद भी इस गांव के लोग ठगे जा रहे हैं।
एक तरफ हमारा देश आज शान से चांद पर तिरंगा लहरा रहा है वहीं दूसरी तरफ आजदी के बाद भी पिलंग के लोग 10 किलोमीटर की विषम पैदल दूरी तय करने को मजबूर हैं। गांव के बड़ी उम्र के लोग कहीं सालों से जनपद मुख्यालय नहीं आ पाते हैं। वहीं बात की जाए ग्रामीणों की तो वो आज भी डंडियों के सहारे अस्पताल पहुंचाईं जा रहे हैं। गांव में अगर किसी को कोई भी स्वस्थ सम्बंधित शिकायत होती है तो गांव में पहले ही लोग चयनित किए जाते हैं जो डंडी कंडियो के माध्यम से 10 किलोमीटर दूरी तय कर ब्लॉक मुख्यालय पहुंचाने का काम करते हैं और अगर गर्भवती महिलाओं का मामला हो तो कई महिलाओं की डिलीवरी रास्ते में ही हो जाती है।
हालांकि , उत्तरप्रदेश से अलग होने के बाद उत्तराखंड सरकार ने यहां की सुध लेने की कोशिश की थी। 2020 में आजादी के बाद इस गांव के लिए सड़क का रिबन काट दिया गया , प्रधानमंत्री सड़क योजना से सड़क का शुभारंभ भी किया गया पर यह सड़क मात्र 4 किलोमीटर बनने के बाद विभागीय अधिकारियों की लापरवाही एवं ठेकेदार की जमींदारी प्रथा के कारण आज तक छोटे से पुल का निर्माण नहीं हो पाया। सड़क निर्माण में लगी कार्यदाई संस्था पीएम जी एस वाई का कहना है कि सड़क काटने के लिए उन्हें मशीनरी की जरूरत है पर पुल का निर्माण न होने के कारण वह सड़क कटिंग के लिए मशीन भेजनें में असमर्थ है। ऐसे में उत्तराखंड सरकार के महत्वपूर्ण निगम ब्रीडकुल की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं। ब्रिडकुल ने ऐसे ठेकेदार को काम दिया है जो केवल पिछले चार सालों में 48 मीटर पुल पर काम नहीं कर पा रहा है जिसके कारण आगे की सड़क कटिंग का काम रूका हुआ हैं। आखिर आजादी के बाद सड़क की आस देख रहे इन ग्रामीणों के आगे ठेकेदार की लापरवाही कहें या विभागीय कमिशन के खेल को ये ग्रामीण झेलने को मजबूर हैं। अब ग्रामीण भी आर पार के मूड में हैं , ग्रामीणों का कहना है कि एक सप्ताह के अन्दर अगर ब्रिडकुल नहीं जागा तो आर पार की लड़ाई होगी , जिसका खामियाजा उत्तराखंड सरकार को चुकाना पड़ेगा।