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जम्मू-कश्मीर: मतदान से पहले जम्मू क्षेत्र में सुरक्षा कड़ी कर दी गई-18 सितंबर को पहले चरण का मतदान

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पहले चरण का मतदान 18 सितंबर को होने वाला है और पिछले कुछ समय में जम्मू क्षेत्र में आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ों में सुरक्षा बलों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है। हाल की घटनाओं में 52 से अधिक सुरक्षा कर्मी शहीद हो चुके हैं, जो दर्शाता है कि आतंकवादी न केवल संगठित हैं बल्कि उनकी गतिविधियों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। जम्मू-कश्मीर में आगामी विधानसभा चुनावों के साथ, सुरक्षा व्यवस्था को लेकर चिंताएँ और बढ़ गई हैं। केंद्रीय और स्थानीय सुरक्षा एजेंसियों की प्राथमिकता यह सुनिश्चित करना है कि चुनाव शांतिपूर्ण और निष्पक्ष तरीके से संपन्न हों।

आतंकवादी गतिविधियों में वृद्धि और चुनौतियाँ
विश्लेषण से यह बात सामने आई है कि आतंकवादी न केवल जम्मू क्षेत्र में घुसपैठ करने में सफल हो रहे हैं, बल्कि वे सुरक्षा बलों की घेराबंदी से बचते हुए आसानी से अपनी गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं। इस क्षेत्र में उनकी बढ़ती सक्रियता से यह स्पष्ट होता है कि ये आतंकवादी आधुनिक हथियारों और उन्नत तकनीक का उपयोग कर रहे हैं। पिछले डेढ़ साल में जम्मू क्षेत्र में घुसपैठ करने में कामयाब हुए आतंकवादियों की संख्या 40 से 50 के बीच आंकी गई है। ये आतंकवादी उच्च प्रशिक्षित हैं और अत्याधुनिक उपकरणों से लैस हैं, जो सुरक्षा बलों के लिए गंभीर चुनौती पेश कर रहे हैं।

चुनावों के मद्देनजर सुरक्षा व्यवस्था
एक दशक में पहली बार होने जा रहे जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनावों को देखते हुए, सुरक्षा व्यवस्था को और अधिक मजबूत करने के प्रयास किए जा रहे हैं। सुरक्षा एजेंसियाँ इस बात को लेकर आश्वस्त हैं कि चुनाव शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न होंगे, लेकिन जम्मू क्षेत्र में बढ़ती आतंकवादी घटनाओं ने उनकी चिंता बढ़ा दी है। सूत्रों के अनुसार, जम्मू क्षेत्र में सुरक्षा ग्रिड को विशेष बलों सहित डिवीजन स्तर पर अतिरिक्त बल की तैनाती के साथ और मजबूत किया गया है। यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि चुनावों के दौरान किसी भी तरह की अप्रिय घटना न हो। असम राइफल्स की दो बटालियनों को भी जम्मू क्षेत्र में तैनात किया जा रहा है, जो आतंकवाद विरोधी और उग्रवाद विरोधी अभियानों में अनुभव रखने वाले कर्मियों के साथ सुरक्षा ग्रिड को और मजबूत करेंगी।

पीर पंजाल रेंज में सुरक्षा बढ़ाई गई
पीर पंजाल रेंज के ऊपरी इलाकों में आतंकवादियों की ताजा गतिविधियों को देखते हुए सुरक्षा बलों की नई तैनाती की गई है। यह इलाका आतंकवादियों के लिए घुसपैठ का प्रमुख मार्ग बना हुआ है। सूत्रों के अनुसार, पिछले डेढ़ साल में जम्मू क्षेत्र में घुसपैठ करने वाले नए आतंकवादी समूहों को लेकर सुरक्षा बल सतर्क हैं। इन आतंकवादियों की संख्या और उनके प्रशिक्षण के स्तर को देखते हुए, सुरक्षा बलों ने पीर पंजाल रेंज में अतिरिक्त बल तैनात किए हैं।

आतंकवादी संगठनों की रणनीति और सुरक्षा बलों की प्रतिक्रिया
आतंकवादी संगठन अपनी रणनीति में लगातार बदलाव कर रहे हैं। वे न केवल जंगलों और पहाड़ी इलाकों का उपयोग कर रहे हैं बल्कि उन्नत तकनीक और उपकरणों की मदद से सुरक्षा बलों की घेराबंदी को भी चकमा दे रहे हैं। हाल ही में, आतंकवादियों के कुछ समूहों ने जम्मू क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों में स्थानीय लोगों से संपर्क बढ़ाने की कोशिश की है। इसका उद्देश्य स्थानीय समर्थन हासिल करना और सुरक्षा बलों के खिलाफ उन्हें उकसाना है। सुरक्षा बलों ने इन चुनौतियों का सामना करने के लिए अपनी रणनीति में भी बदलाव किया है। आतंकवादियों की गतिविधियों पर नज़र रखने के लिए ड्रोन, सैटेलाइट इमेजिंग और अन्य उन्नत तकनीकों का उपयोग किया जा रहा है। इसके अलावा, स्थानीय पुलिस और खुफिया एजेंसियों के साथ समन्वय को और मजबूत किया गया है ताकि आतंकवादियों की गतिविधियों की जानकारी समय रहते प्राप्त हो सके।

नागरिक सुरक्षा और जागरूकता
जम्मू क्षेत्र में बढ़ते आतंकवादी हमलों के बीच नागरिक सुरक्षा भी एक प्रमुख चिंता का विषय है। सुरक्षा एजेंसियाँ स्थानीय नागरिकों को जागरूक करने और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए लगातार प्रयास कर रही हैं। स्थानीय समुदायों को सुरक्षा बलों के साथ सहयोग करने और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की तुरंत जानकारी देने की अपील की गई है। इसके साथ ही, सरकार ने आतंकवादियों के खिलाफ जानकारी देने वाले नागरिकों को पुरस्कृत करने की योजना भी बनाई है।

निष्कर्ष
जम्मू क्षेत्र में आतंकवादी गतिविधियों की बढ़ती घटनाएँ सुरक्षा बलों के लिए गंभीर चुनौती पेश कर रही हैं। आगामी विधानसभा चुनावों को देखते हुए सुरक्षा व्यवस्था को और भी मजबूत किया गया है, लेकिन आतंकवादियों की बढ़ती सक्रियता ने सुरक्षा एजेंसियों के सामने नई चुनौतियाँ खड़ी कर दी हैं। सुरक्षा बलों की तैनाती और उन्नत तकनीकों के उपयोग से स्थिति को नियंत्रित करने का प्रयास किया जा रहा है, लेकिन स्थानीय नागरिकों की जागरूकता और सहयोग भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। आने वाले समय में सुरक्षा बलों के लिए यह सुनिश्चित करना आवश्यक होगा कि आतंकवादी अपनी योजनाओं में सफल न हो सकें और जम्मू-कश्मीर में शांति बनी रहे।


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