• Home
  • उत्तराखंड
  • परमात्मा से जुड़ाव ही सच्ची भक्ति का आधार – निरंकारी सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज
Image

परमात्मा से जुड़ाव ही सच्ची भक्ति का आधार – निरंकारी सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज

Spread the love

हरिद्वार , उत्तराखंड – ‘‘भक्ति वह अवस्था है, जो जीवन को दिव्यता और आनंद से भर देती है। यह न इच्छाओं का सौदा है, न स्वार्थ का माध्यम। सच्ची भक्ति का अर्थ है परमात्मा से गहरा जुड़ाव और निःस्वार्थ प्रेम।‘‘ यह प्रेरणादायक विचार निरंकारी सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने हरियाणा स्थित संत निरंकारी आध्यात्मिक स्थल, समालखा में आयोजित ‘भक्ति पर्व समागम’ के अवसर पर विशाल जनसमूह को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। हरिद्वार मिडिया सहायक हेमा भंडारी ने जानकारी देते हुए बताया कि समालखा में हुए भक्ति पर्व समागम में सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज एवं आदरणीय निरंकारी राजपिता रमित जी के पावन सान्निध्य में श्रद्धा और भक्ति की अनुपम छटा देखने को मिली। दिल्ली, एन.सी.आर. सहित देश-विदेश से हजारों श्रद्धालु भक्त इस दिव्य संत समागम में सम्मिलित हुए और सभी ने सत्संग के माध्यम से आध्यात्मिक आनंद की दिव्य अनुभूति प्राप्त की। इस पावन अवसर पर परम संत सन्तोख सिंह जी के अतिरिक्त अन्य संतों के तप, त्याग और ब्रह्मज्ञान के प्रचार-प्रसार में उनके अमूल्य योगदान को स्मरण किया गया और उनके जीवन से प्रेरणा ली गईं।

समागम के दौरान अनेक वक्ताओं, कवियों और गीतकारों ने विभिन्न विद्याओं के माध्यम से गुरु महिमा और भक्ति का भावपूर्ण वर्णन किया। संतों की प्रेरणादायक शिक्षाओं ने श्रद्धालुओं के जीवन को आध्यात्मिक दृष्टिकोण से समृद्ध किया। सतगुरु माता जी ने भक्ति की महिमा का उल्लेख करते हुए कहा कि ब्रह्मज्ञान भक्ति का आधार है। यह जीवन को उत्सव बना देता है। भक्ति का वास्तविक स्वरूप दिखावे से परे और स्वार्थ व लालच से मुक्त होना चाहिए। जैसे दूध में नींबू डालने से वह फट जाता है, वैसे ही भक्ति में लालच और स्वार्थ हो तो वह अपनी पवित्रता खो देती है। सतगुरु माता जी ने उदाहरण देते हुए कहा कि भगवान हनुमान जी, मीराबाई और बुद्ध भगवान का भक्ति स्वरूप भले ही अलग था, लेकिन उनका मर्म एक ही था-परमात्मा से अटूट जुड़ाव। भक्ति सेवा, सुमिरन, सत्संग और गान जैसे अनेक रूपों में हो सकती है, लेकिन उसमें निःस्वार्थ प्रेम और समर्पण का भाव होना चाहिए। गृहस्थ जीवन में भी भक्ति संभव है, यदि हर कार्य में परमात्मा का आभास हो।

सतगुरु माता जी ने माता सविंदर जी और राजमाता जी के जीवन को भक्ति और समर्पण का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि इन विभूतियों का जीवन भक्ति और सेवा का श्रेष्ठ उदाहरण है। निरंकारी मिशन का मूल सिद्धांत यही है कि भक्ति परमात्मा के तत्व को जानकर ही सार्थक रूप ले सकती है। निःसंदेह सतगुरु माता जी के अमूल्य प्रवचनों ने श्रद्धालुओं के जीवन में ब्रह्मज्ञान द्वारा भक्ति का वास्तविक महत्व समझने और उसे अपनाने की प्रेरणा दी।


Spread the love

Releated Posts

वाहन चोरी की घटना का दून पुलिस ने किया खुलासा

Spread the love

Spread the loveNEWS BY: Pulse24 News देहरादून , उत्तराखंड – दिनांक 24-04-2025 को वादी कमल सिंह सजवान पुत्र…


Spread the love
ByByPriyanka SirolaApr 30, 2025

नकली पनीर की कालाबाजारी में लिप्त तीन अभियुक्त आए गिरफ्त में

Spread the love

Spread the loveNEWS BY: Pulse24 News देहरादून , उत्तराखंड – वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक की गोपनीय सूचना पर पुलिस…


Spread the love
ByByPriyanka SirolaApr 30, 2025

यात्रा की व्यवस्थाओं और तैयारियों का एसएसपी पौड़ी ने लिया जायजा

Spread the love

Spread the loveNEWS BY: Pulse24 News पौड़ी , उत्तराखंड – विगत वर्षो कि भांति इस वर्ष भी चारधाम…


Spread the love
ByByPriyanka SirolaApr 29, 2025

पुलिस ने नाबालिग बालिका को बहला फुसलाकर भगा ले जाने वाले युवक को किया गिरफ्तार

Spread the love

Spread the loveNEWS BY: Pulse24 News पौड़ी , उत्तराखंड – दिनांक 19.02.2025 को स्थानीय निवासी थलीसैण द्वारा थाना…


Spread the love
ByByPriyanka SirolaApr 27, 2025

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *