NEWS BY: Pulse24 News
देहरादून, उत्तराखंड – श्री राम मंदिर (दीपलोक कॉलोनी, चकराता रोड़) का 46वां स्थापना दिवस आज हर्षोल्लास और भक्तिभाव के साथ मनाया गया। इस शुभ अवसर पर अखंड रामचरितमानस पाठ का आयोजन किया गया, जिसे सुप्रसिद्ध कथा वाचक आदरणीय श्री सुभाष जोशी जी ने संपन्न किया। श्री जोशी जी ने भगवान श्री राम के मर्यादा पुरुषोत्तम चरित्र और उनके जीवन से प्रेरित उत्तम परिवर्तन पर अपने प्रेरणादायक विचार प्रस्तुत किए। 6 जनवरी 2025 को प्रातः प्रारंभ हुआ अखंड रामचरितमानस पाठ आज पूर्ण हुआ। अपने वक्तव्य में श्री सुभाष जोशी जी ने रामचरितमानस की व्याख्या करते हुए कहा कि आपसी प्रेम, सौहार्द और जाति-सम्प्रदाय से ऊपर उठकर ही रामराज्य की परिकल्पना साकार हो सकती है। उन्होंने नारी सशक्तिकरण, पर्यावरण संरक्षण, पशु-पक्षियों के प्रति प्रेम, और औषधि संरक्षण जैसे मूल्यों को राम नाम का सच्चा स्वरूप बताया।
कार्यक्रम के दौरान, मंदिर की आधिकारिक वेबसाइट का शुभारंभ कैंट की विधायक श्रीमती सविता कपूर जी द्वारा किया गया। कंप्यूटर स्क्रीन पर “ॐ” का बटन दबाकर उन्होंने वेबसाइट का उद्घाटन किया। यह वेबसाइट मंदिर के प्रचार मंत्री प्रोफेसर शिव कुमार दादर जी द्वारा विकसित की गई है। यह वेबसाइट भक्तों को मंदिर की गतिविधियों और सेवाओं से जोड़ने का एक सशक्त माध्यम बनेगी। मंदिर के सभी विग्रहों को नवीन वस्त्र और आभूषणों से सजाया गया, जिसके बाद भव्य पूजन संपन्न हुआ। इसके उपरांत भंडारे का आयोजन किया गया, जिसमें 1000 से अधिक भक्तजनों ने प्रसाद ग्रहण किया और कार्यक्रम की दिव्यता में सहभागी बने।
इस आयोजन को सफल बनाने में पांच प्रमुख आचार्यों – आचार्य शिवम अवस्थी , आचार्य विकास भट्ट , आचार्य पुरुषोत्तम डिंबरी , आचार्य गौरव जोशी , और आचार्य अभिषेक शर्मा जी – ने 24 घंटे अखंड रामायण पाठ संपन्न करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।कार्यक्रम में उपस्थित प्रमुख गणमान्य व्यक्तियों में शामिल थे श्रीमती सविता कपूर जी, विधायक (कैंट), राजेंद्र पंत जी, प्रांत सामाजिक समरसता प्रमुख, आरएसएस , रोशन राणा जी, महाकाल सेवा समिति के प्रधान , सुनील उनियाल गामा जी, पूर्व महापौर, देहरादून , सुमित पांडे जी, भाजपा मंडल अध्यक्ष ,श्री राम मंदिर समिति के पदाधिकारी – आर.के. गुप्ता (प्रधान), अरविंद मित्तल (सचिव), अनिल कुमार आनंद (उत्सव मंत्री), एस.के. गोयल (कोषाध्यक्ष) और अन्य सदस्यों ने भी आयोजन को भव्य रूप देने में अपनी भूमिका निभाई। यह आयोजन भगवान श्री राम के आदर्शों और शिक्षाओं के प्रति समर्पण का प्रतीक रहा, जिसने भक्तों के मन में एकता, श्रद्धा और सांस्कृतिक गौरव का भाव जगाया।