बलरामपुर-:पिछले 1 साल में 6 भालूओं की मौत हुई है. शंकरगढ़ वन परिक्षेत्र में 3 फरवरी को 1 भालू की मौत हुई. कुसमी वन परिक्षेत्र में 10 मार्च को 2 भालूओं की मौत हुई. वाड्रफनगर वन परिक्षेत्र में 31 अगस्त को 1 भालू की मौत हुई. रघुनाथनगर वन परिक्षेत्र में 21 अक्टूबर को 1 भालू की मौत हुई वहीं आज 14 अक्टूबर को रघुनाथनगर में ही 1 भालू का शव मिला है. जिले के रघुनाथनगर वन परिक्षेत्र में 3 महिने के भीतर 2 भालूओं की मौत हो चुकी है. 6 मौतों में 2 भालूओं की मौत आपसी संघर्ष में हुई है जबकि अन्य भालूओं की मौत करंट के चपेट में आने से हुई है.21 लोग हुए हैं घायल 1 व्यक्ति ने गंवाई जान वनविभाग के आंकड़ों के अनुसार पिछले 1 साल में बलरामपुर जिले में भालूओं के हमले से 21 लोग घायल हुए हैं वहीं 1 व्यक्ति ने भालू के हमले में अपनी जान गंवा दी है. ग्रामीण क्षेत्रों के लोग अपनी दैनिक जरूरतों के लिए जंगल जाते हैं. पिछले 1 साल के आंकड़े को देखा जाए तो 21 घायल और 1 मृत व्यक्ति भी अपनी दैनिक जरूरतों के लिए जंगल में वनोपज, लकड़ी लेने या फिर मवेशियों को चराने के लिए गए हुए थे उसी दौरान भालूओं ने इन सभी को अपना निशाना बनाया.
11 लाख रुपए से अधिक दी गई क्षतिपूर्ति राशि
वनविभाग के अनुसार बलरामपुर जिले में जनवरी 2021 से दिसंबर 2021 तक भालूओं के हमले में जान गंवाने वाले और घायल होने वालों को पिछले 1 साल में क्षतिपूर्ति राशि के नाम पर 1106833 (ग्यारह लाख छ: हजार आठ सौ तैंतीस रूपए) का क्षतिपूर्ति राशि वितरित किया गया है 1 व्यक्ति की मौत होने पर 6 लाख रुपए की क्षतिपूर्ति राशि प्रदान किया गया है. 21 लोगों को घायल होने पर 493833 रूपए की क्षतिपूर्ति राशि सहायता प्रदान किया गया है. 2 पशुओं के मौत पर 13000 रूपए का क्षतिपूर्ति दी गई है इंसानों और वन्य-जीवों का संघर्ष

6 भालूओं की मौतें हुई हैं वहीं भालू के हमले में 1 व्यक्ति की मौत हुई है हम जितना ज्यादा जंगल के नज़दीक पहुंच रहे हैं ये समस्या उतनी ही अधिक बढ़ रही है. जंगल में भोजन की कमी की समस्या भी बनी हुई है। जिसके चलते भालू हाथी जैसे जानवर भोजन के लिए रिहायशी बस्तियों की ओर आ रहे हैं। इसके साथ ही जंगल से लकड़ी, घास, चारे के इंतज़ाम के लिए लोग जाते हैं बलरामपुर जिले में ज्यादातर मामले ऐसे हैं जब जंगल के अंदर जानवर का हमला हुआ है। यहां लोगों को भी जागरुक किए जाने की जरूरत है.
वनविभाग असफल
भालूओं की मौतें हो चुकी है लेकिन वन्य-जीवों के संरक्षण के लिए वनविभाग के द्वारा अबतक ठोस पहल नहीं की गई है, 1 साल में 6 भालूओं की मौत होना गंभीर विषय है. जिले में भालूओं की संख्या कितनी है वनविभाग के पास इसके कोई आंकड़े या अनुमान नहीं है विभाग की ओर से किए जा रहे प्रयासों का असर धरातल पर बहुत अधिक नहीं दिख रहा. इसलिए जानवरों को भी इंसानों के गुस्से का खामियाज़ा उठाना पड़ रहा है. वनविभाग अपने अगर इसी तरह लगातार वन्यजीव की मौत होती रही तो फिर विलुप्त हो जाएंगे.
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