उत्तराखंड-जनाधिकार मोर्चा ने राज्यपाल से बिगड़ती कानून व्यवस्था को सुधारने की मांग की

उत्तराखंड-जनाधिकार मोर्चा ने राज्यपाल से बिगड़ती कानून व्यवस्था को सुधारने की मांग की

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देहरादून: जनाधिकार मोर्चा के प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रीय महासचिव हेमा भंडारी के नेतृत्व में सिटी मजिस्ट्रेट के माध्यम से महामहिम राज्यपाल उत्तराखंड को प्रदेश में बिगड़ती कानून व्यवस्था को सुधारने के लिए एक ज्ञापन सौंपा है। इस ज्ञापन में हाल के घटनाक्रमों और सुरक्षा की स्थिति पर गंभीर चिंता व्यक्त की गई है और तत्काल सख्त कार्रवाई की अपील की गई है।

हरिद्वार में बढ़ते अपराध:
जनाधिकार मोर्चा के पदाधिकारियों ने ज्ञापन में कहा कि हरिद्वार जिले में चेन स्नैचिंग और लूट की घटनाओं में वृद्धि देखी जा रही है। हाल ही में, एक व्यापारी के यहाँ दिन के उजाले में डकैती की गई और एक दिन बाद हवाई फायरिंग के दौरान एक महिला की चेन छीन ली गई। ये घटनाएं हरिद्वार की छवि को प्रभावित कर रही हैं, जो एक प्रमुख पर्यटन स्थल है। इस तरह की अपराध की घटनाएँ पर्यटकों को यहाँ आने के लिए हतोत्साहित कर सकती हैं, जिससे राज्य के राजस्व और हरिद्वार की जनता के रोजगार पर गंभीर असर पड़ सकता है।

महिलाओं और पत्रकारों की सुरक्षा पर चिंता:
ज्ञापन में कहा गया कि पूरे प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ बलात्कार और हत्या की घटनाएं बढ़ गई हैं और अपराधी बेखौफ घूम रहे हैं। पुलिस प्रशासन की ढिलाई और निष्क्रियता को लेकर भी गंभीर आरोप लगाए गए हैं। अंकिता भंडारी के माता-पिता आज भी न्याय की तलाश में भटक रहे हैं। इसके अलावा, ऋषिकेश में एक पत्रकार को शराब माफियाओं द्वारा हत्या का प्रयास किया गया, जिससे यह सवाल उठता है कि प्रदेश में महिलाएं, व्यापारी और मीडिया कर्मी कितने सुरक्षित हैं।

आईएसबीटी देहरादून गैंगरेप मामला:
जनाधिकार मोर्चा ने बताया कि आईएसबीटी देहरादून में हुए गैंगरेप मामले में शामिल सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। जिलाध्यक्ष संजू नारंग ने आरोप लगाया कि विभाग और प्रशासन इस मामले में कड़ी कार्रवाई करने में विफल रहे हैं। इसी तरह, उधम सिंह नगर में हुए बलात्कार और हत्या के मामले में भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। मोर्चा ने दोनों मामलों में सीबीआई जांच की मांग की है, ताकि दोषियों को सख्त सजा मिल सके और कानून व्यवस्था को सुदृढ़ किया जा सके।

प्रशासन की ढील और अपराधियों के हौसले:
जनाधिकार मोर्चा ने चिंता जताते हुए कहा कि प्रशासन की ढिलाई और अकर्मण्यता अपराधियों के हौसले को बुलंद कर रही है। यदि प्रशासन का रवैया इसी तरह ढीला रहा, तो अपराध की जड़ें उत्तराखंड में फैल सकती हैं। मोर्चा ने उत्तराखंड को देवभूमि और एक शांत राज्य के रूप में प्रस्तुत करने की आवश्यकता पर बल दिया और कहा कि इस तरह की घटनाएं राज्य की देशव्यापी प्रतिष्ठा को धूमिल करती हैं।

राज्यपाल से सख्त कार्रवाई की अपील:
ज्ञापन में महामहिम राज्यपाल से अनुरोध किया गया है कि वह इन सभी मामलों में शीघ्र और कठोर कार्रवाई के लिए दिशा-निर्देश जारी करें। जनाधिकार मोर्चा का कहना है कि केवल सख्त और त्वरित कार्रवाई ही कानून व्यवस्था को सुधारने और अपराधियों को दंडित करने में सक्षम होगी।
ज्ञापन का उद्देश्य स्पष्ट है: प्रदेश में बिगड़ती कानून व्यवस्था को सुधारना और सुनिश्चित करना कि उत्तराखंड अपने शांतिपूर्ण और सुरक्षित राज्य के रूप में अपनी पहचान बनाए रखे। जनाधिकार मोर्चा ने राज्यपाल से तत्काल हस्तक्षेप की अपील की है, ताकि कानून और व्यवस्था की स्थिति को तुरंत सुधारा जा सके और जनता का विश्वास पुनः स्थापित किया जा सके।


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