उत्तराखड़-खटीमा में पत्रकार प्रेस परिषद की दूसरी वर्षगांठ पर बैठक

उत्तराखड़-खटीमा में पत्रकार प्रेस परिषद की दूसरी वर्षगांठ पर बैठक

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खटीमा में आयोजित इस बैठक का प्रमुख उद्देश्य पत्रकार प्रेस परिषद की द्वितीय वर्षगांठ का जश्न मनाना था। यह बैठक मंडी समिति गेस्ट हाउस में आयोजित की गई, जिसमें कुमाऊं अध्यक्ष अशोक गुलाटी की अध्यक्षता में यह महत्वपूर्ण बैठक संपन्न हुई।
इस अवसर पर पत्रकार प्रेस परिषद के संगठन के सदस्यों ने अपने विचार साझा किए और संगठन को और अधिक मजबूत बनाने के लिए प्रतिबद्धता व्यक्त की।

पत्रकारों के उत्पीड़न पर चर्चा:
बैठक में पत्रकारों के उत्पीड़न का मुद्दा प्रमुखता से उठाया गया। विशेष रूप से, रुद्रपुर में पत्रकार दीपक शर्मा के साथ पुलिस कोतवाल द्वारा की गई अभद्रता का मामला चर्चा में आया।
इस घटना को अमानवीय व्यवहार के रूप में देखा गया और पुलिस प्रशासन द्वारा पत्रकारों के साथ किए जा रहे अनुचित व्यवहार की कड़ी निंदा की गई। पत्रकारों ने एकजुट होकर इसके खिलाफ आवश्यक कदम उठाने का संकल्प लिया।

केंद्रीय नेतृत्व द्वारा बीमा और स्वास्थ्य सुविधा:
बैठक में केंद्रीय नेतृत्व द्वारा प्रदान की जा रही बीमा और स्वास्थ्य सुविधाओं का भी उल्लेख किया गया। पत्रकार प्रेस परिषद के सदस्यों को 2,25,000 रुपये का एक्सीडेंटल बीमा और 50,000 रुपये का हेल्थ इंश्योरेंस प्रदान किया जा रहा है। इस सुविधा के लिए केंद्रीय नेतृत्व का आभार व्यक्त किया गया और इसे पत्रकारों के हित में एक महत्वपूर्ण कदम माना गया।

संगठन की मजबूती पर जोर:
बैठक में संगठन की मजबूती पर विशेष जोर दिया गया। पत्रकार प्रेस परिषद के सदस्यों ने अपने विचारों को साझा करते हुए संगठन को और अधिक संगठित और सशक्त बनाने की दिशा में काम करने की आवश्यकता पर बल दिया।इस अवसर पर पत्रकारों ने संगठन को मजबूत बनाने का संकल्प लिया और एकजुट होकर पत्रकारों के हितों की रक्षा करने का संकल्प लिया।

पत्रकारों का सम्मान और पहचान:
बैठक के दौरान विभिन्न क्षेत्रों से आए पत्रकारों को सम्मानित किया गया। इसके साथ ही, पत्रकार प्रेस परिषद के परिचय पत्र भी कुमाऊं अध्यक्ष अशोक गुलाटी द्वारा प्रदान किए गए।
यह सम्मान और पहचान पत्रकारों की महत्वपूर्ण भूमिका को मान्यता देने के उद्देश्य से किया गया, जिससे उन्हें अपने कार्य में और अधिक उत्साह और समर्पण के साथ काम करने की प्रेरणा मिल सके।

मौलिक अधिकारों की सुरक्षा:
बैठक में पत्रकारों के मौलिक अधिकारों की सुरक्षा पर भी जोर दिया गया। पुलिस प्रशासन या किसी अन्य सरकारी एजेंसी द्वारा पत्रकारों के साथ किसी भी तरह के अनुचित व्यवहार की कड़ी निंदा की गई और इसे रोकने के लिए ठोस कदम उठाने का संकल्प लिया गया। पत्रकार प्रेस परिषद ने यह स्पष्ट किया कि यदि किसी पत्रकार को अपने कार्य के दौरान किसी भी तरह से प्रताड़ित किया जाता है, तो संगठन उसके साथ मजबूती से खड़ा रहेगा और उसका समर्थन करेगा।

पत्रकार प्रेस परिषद की भविष्य की योजनाएँ:
इस बैठक में पत्रकार प्रेस परिषद की भविष्य की योजनाओं पर भी चर्चा की गई। संगठन को और अधिक प्रभावी और संगठित बनाने के लिए विभिन्न कदम उठाने की योजना बनाई गई। इसमें सदस्यों की संख्या बढ़ाने, संगठनात्मक ढांचे को मजबूत करने, और पत्रकारों के अधिकारों की रक्षा के लिए ठोस रणनीतियाँ विकसित करने पर विचार किया गया।

समुदाय और समाज में पत्रकारों की भूमिका:
पत्रकार प्रेस परिषद की इस बैठक में पत्रकारों की समाज और समुदाय में महत्वपूर्ण भूमिका पर भी चर्चा की गई। पत्रकार समाज का चौथा स्तंभ होते हैं और उनकी जिम्मेदारी है कि वे सत्य और निष्पक्षता के साथ समाचारों का प्रसार करें। इस जिम्मेदारी को निभाते हुए, पत्रकारों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जिनमें उत्पीड़न और अभद्रता भी शामिल है। इन चुनौतियों का सामना करने के लिए संगठनात्मक समर्थन और एकजुटता आवश्यक है।
मुख्य अतिथि:
श्रीमती नीता सक्सेना, जो कि मोनाल संस्था की डायरेक्टर हैं, इस कार्यक्रम में उपस्थित थीं। यह दर्शाता है कि पत्रकारिता में महिलाओं की भी महत्वपूर्ण भूमिका है और उनके योगदान को भी समान महत्व दिया जा रहा है।

निष्कर्ष:
पत्रकार प्रेस परिषद की द्वितीय वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित इस बैठक ने पत्रकारों के उत्पीड़न के खिलाफ एकजुटता और संगठन की मजबूती का संदेश दिया। पत्रकारों ने अपने विचार साझा किए और संगठन को और अधिक संगठित और प्रभावी बनाने की दिशा में काम करने का संकल्प लिया। इस बैठक में उठाए गए मुद्दों और संकल्पों से यह स्पष्ट होता है कि पत्रकार प्रेस परिषद एक महत्वपूर्ण संगठन है, जो पत्रकारों के अधिकारों और स्वतंत्रता की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। यह संगठन पत्रकारों के लिए एक सुरक्षित और सम्मानित वातावरण बनाने की दिशा में लगातार प्रयासरत है। इस प्रकार, यह बैठक पत्रकारिता जगत में संगठनात्मक एकजुटता और पत्रकारों के अधिकारों की रक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुई।


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