NEWS BY: Pulse24 News
जिला मुख्यालय स्थित नागरिक अस्पताल में सीएचसी भूना से एमओ डा. योगेश यादव, पीएचसी भिरडाना से डा. घनश्याम, सीएचसी भूना से डा. हीना के नेतत्व में कायाकल्प टीम ने चार घंटे तक निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान एक-एक कर अस्पताल प्रशासन को खामियां गिनाने काम किया गया। टीम ने इमरजेंसी वार्ड, आईसीयू, लैब, लेबर रूम, ओपीडी, ब्लड बैंक सहित अन्य वार्डों की जांच की। ब्लड बैंक में रजिस्टर में दर्ज मरीजों की एंट्री में खामी मिली। स्वास्थ्यकर्मी टीम द्वारा पूछे गए सवालों का जवाब तक नही दे पाए। डायलसिस सेंटर में फायर सिलेंडर एक्सपायरी डेट का मिला। इमरजेंंसी वार्ड और पेशेंट वार्ड में कई तरह की खामियां नजर आई। स्वच्छता को लेकर विशेष दिशा-निर्देश दिए गए। अब टीम द्वारा जींद अस्पताल को 80 से ज्यादा अंक दिए जाते हैं तो नगद पुरस्कार मिलेगा। टीम के साथ एमएस डा. अरविंद, डिप्टी एमएस डा. राजेश भोला, डा. अजय चालिया सहित अन्य स्वास्थ्य स्टाफ मौजूद रहा।
कायाकल्प टीम ने निरीक्षण की शुरूआत इमरजेंसी वार्ड से की। यहां कर्मियों से रेड, यैल्लो जोन के बारे में जानकारी हासिल की। कई जगह टीम के सदस्य संतुष्ट मिले तो कई जगह असंतुष्ट नजर आए। इसके बाद टीम लैब में पहुंच और मशीनों के बारे में कर्मियों से जानकारी हासिल की। हालांकि नागरिक अस्पताल प्रशासन ने कायाकल्प टीम के दौरे को लेकर व्यापक तैयारियां की थी। बावजूद इसके अस्पताल में खामियों को छुपाया नही जा सका। दवा वितरण कमरे और नेत्र चिकित्सक रूम के यहां जांच करने के बाद टीम टीकाकरण कक्ष में पहुंची। यहां काम करते मिले स्टूडेंट्स से गीले व सूखे कचरे के बारे में जानकारी हासिल की तो वो सही तरीके से जानकारी नही दे पाए। यहां डस्टबीन के ठीक से रखरखाव के निर्देश दिए गए।
टीम नई बिल्डिंग में ही बने ब्लड बैंक में पहुंची। यहां टीम ने मरीजों के एंट्री रजिस्टर की जांच की तो टीम हतप्रभ रह गई। एक ही पैन से एक साथ एंट्री दर्ज पाई गई। जिस पर टीम ने इसे दुरूस्त करने के लिए कहा। स्टरलाइजेशन रूम में मशीन सेपरेश पर टेप लगी नही मिली। जिस पर टीम ने मशीन पर टेप लगाने के निर्देश दिए। टीम को डायलिसिस वार्ड में एक्सापायरी डेट का सिलेंडर मिला। जिसे तुरंत प्रभाव से बदलने के आदेश दिए गए। मेडिकल वार्ड में सफाईकर्मियों से स्वच्छता को लेकर पूछताछ की तो वो टीम को संतुष्ठ नही कर पाए। वहीं नर्स से आग बुझाने के बारे में पूछा तो वो भी सही से जवाब नही दे पाई। जिस पर टीम ने तुरंत प्रभाव से कर्मियों की स्पेशल ट्रेनिंग करवाने के निर्देश दिए।
केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की और से सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्थानों में साफ-सफाई, इंफेक्शन कंट्रोल, बायोमेडिकल वेस्ट डिस्पोजल व पेंशेंट केयर से संबंधित कुछ नियम निर्धारित किए गए हैं। जो अस्पताल इन मानकों पर खरा उतरता है उसे कैश अवार्ड दिया जाता है। अब टीम द्वारा अपनी जांच रिपोर्ट के आधार पर रैंक दिया जाएगा और रिपोर्ट उच्च अधिकारियों को सौंपी जाएगी। अगर जींद अस्पताल को 80 से अधिक अंक मिलते हैं तो कैश पुरस्कार पक्का होगा। जिससे सुविधाएं और बेहतर की जा सकेंगी।
टीम द्वारा नर्सों से भी बातचीत की गई। इसके अलावा प्रतिदिन होने वाली डिलीवरी के रिकार्ड को भी देखा। प्रसव से पूर्व और बाद में बरती जाने वाली सावधानियों व शिशु व मां की देखरेख से संबंधित सवाल पूछे। टीम द्वारा आप्रेशन थिएटर का भी दौरा किया गया। उन्होंने स्टाफकर्मियों को मरीजों व उनके तिमारदारों से अच्छे से बर्ताव करने की सलाह दी।
जींद से ऋषि मेहंदीरत्ता की रिपोर्ट