छत्तीसगढ़-चाम्पा: कृष्णा इंडस्ट्रीज की मनमानी से त्रस्त किसान, फसल को नुकसान, न्याय की गुहार

छत्तीसगढ़-चाम्पा: कृष्णा इंडस्ट्रीज की मनमानी से त्रस्त किसान, फसल को नुकसान, न्याय की गुहार

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छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चाम्पा जिले के बहेराडीह गांव में स्थित कृष्णा इंडस्ट्रीज की लापरवाही और मनमानी से वहां के किसान त्रस्त हो गए हैं। इंडस्ट्रीज से निकलने वाले खतरनाक केमिकल की वजह से गांव के कई किसानों की फसलें बर्बाद हो रही हैं। इस गंभीर समस्या से परेशान होकर दो किसानों, छेदूराम मन्नेवार और होरीलाल मन्नेवार ने जिला प्रशासन से न्याय की गुहार लगाई है।

फसल की बर्बादी और किसान की पीड़ा
बहेराडीह गांव के इन दोनों किसानों की कुल ढाई एकड़ जमीन में लगी फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गई है। किसानों का कहना है कि उन्होंने खेत में अच्छी फसल उगाने की पूरी मेहनत की थी, लेकिन जब फसल अचानक खराब होने लगी तो वे हैरान हो गए। खेतों में लगी फसल धीरे-धीरे मुरझाने लगी, और पौधों में कोई भी वृद्धि नहीं हो रही थी। इससे परेशान होकर दोनों किसान यह जानने के लिए मजबूर हुए कि आखिर उनकी फसल के साथ क्या हो रहा है।

कृष्णा इंडस्ट्रीज की भूमिका
किसानों द्वारा की गई जांच से यह बात सामने आई कि खेतों की बर्बादी का मुख्य कारण कृष्णा इंडस्ट्रीज से निकलने वाला केमिकल है। किसानों ने देखा कि इंडस्ट्रीज से निकलने वाले खतरनाक केमिकल से उनकी फसलें खराब हो रही थीं। यह केमिकल न केवल फसलों के लिए हानिकारक है, बल्कि यह भूमि की उर्वरता को भी नुकसान पहुंचा रहा है। किसानों का कहना है कि अगर जल्द ही इस समस्या का समाधान नहीं किया गया तो उनके लिए खेती करना नामुमकिन हो जाएगा।

इंडस्ट्रीज मालिक की लापरवाही
जब किसानों ने कृष्णा इंडस्ट्रीज के मालिक से इस संबंध में बात करने की कोशिश की तो उन्हें निराशा ही हाथ लगी। इंडस्ट्रीज के मालिक ने किसानों की समस्याओं को अनसुना कर दिया और उनके साथ कोई संवाद करने से मना कर दिया। मालिक के इस अड़ियल रवैये से परेशान किसानों के पास जिला प्रशासन से मदद मांगने के अलावा कोई और विकल्प नहीं बचा।

कलेक्टर और एसपी से न्याय की गुहार
अपनी बर्बाद हो चुकी फसल और इंडस्ट्रीज के मालिक की अनदेखी से हताश किसानों ने जिला कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक (एसपी) के कार्यालय में जाकर ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में उन्होंने अपने साथ हो रहे अन्याय की पूरी जानकारी दी और कलेक्टर से तत्काल कार्रवाई की मांग की। किसानों का कहना है कि उन्हें उनकी बर्बाद हो चुकी फसल का मुआवजा मिलना चाहिए और कृष्णा इंडस्ट्रीज से निकलने वाले खतरनाक केमिकल के उपयोग पर तुरंत रोक लगाई जानी चाहिए।

कृष्णा इंडस्ट्रीज पर कार्रवाई की मांग
किसानों ने अपने ज्ञापन में यह भी उल्लेख किया है कि अगर जल्द ही इस समस्या का समाधान नहीं किया गया तो अन्य किसान भी इससे प्रभावित हो सकते हैं। उन्होंने जिला प्रशासन से आग्रह किया है कि वे तत्काल प्रभाव से कृष्णा इंडस्ट्रीज के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें ताकि इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो सके। किसानों ने यह भी मांग की है कि इंडस्ट्रीज से निकलने वाले केमिकल के प्रभाव को खत्म करने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएं और उन्हें उनकी बर्बाद हो चुकी फसल का उचित मुआवजा दिया जाए।

किसानों की स्थिति और उनकी मांग
छेदूराम मन्नेवार और होरीलाल मन्नेवार जैसे किसानों के लिए कृषि ही उनकी आजीविका का मुख्य स्रोत है। उनकी फसलें बर्बाद होने से उनके परिवारों की रोजी-रोटी पर संकट खड़ा हो गया है। उन्होंने अपनी मेहनत और पूंजी को इस फसल में लगाया था, लेकिन अब उनके सामने आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है। किसानों का कहना है कि उनकी फसल के नुकसान का आंकलन कर उन्हें उचित मुआवजा दिया जाए ताकि वे अपनी जिंदगी को फिर से पटरी पर ला सकें।

जिला प्रशासन की भूमिका
अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि जिला प्रशासन इस मामले में क्या कदम उठाता है। किसानों ने जो शिकायत दर्ज की है, वह न केवल उनकी आजीविका से जुड़ी है, बल्कि यह पूरे क्षेत्र के पर्यावरण और भूमि की उर्वरता से भी संबंधित है। अगर समय पर कार्रवाई नहीं की गई तो इससे और भी गंभीर परिणाम हो सकते हैं।

संभावित उपाय और समाधान
इस मामले में एक संभावित उपाय यह हो सकता है कि जिला प्रशासन एक विशेष टीम का गठन करे जो इस समस्या की गहराई से जांच करे और इंडस्ट्रीज के खिलाफ उचित कार्रवाई की सिफारिश करे। इसके साथ ही, कृष्णा इंडस्ट्रीज को अपनी गतिविधियों में सुधार करने के लिए कहा जाना चाहिए, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाएं न हों। इसके अलावा, किसानों को उनकी बर्बाद हुई फसल का मुआवजा भी तुरंत प्रदान किया जाना चाहिए।

निष्कर्ष
जांजगीर-चाम्पा के बहेराडीह गांव के किसानों की यह समस्या केवल एक स्थानीय घटना नहीं है, बल्कि यह उन चुनौतियों का प्रतीक है जिनका सामना देश के अन्य हिस्सों में भी किसान कर रहे हैं। उद्योगों और पर्यावरण के बीच एक संतुलन बनाना आवश्यक है ताकि कृषि और उद्योग दोनों ही फल-फूल सकें। किसानों की गुहार को गंभीरता से लिया जाना चाहिए और उन्हें न्याय दिलाने के लिए प्रशासन को तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए।


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