जांजगीर-चांपा जिले में हरतालिका तीज का पर्व: सुहागन महिलाओं का निर्जला व्रत और शिव-पार्वती की आराधना

जांजगीर-चांपा जिले में हरतालिका तीज का पर्व: सुहागन महिलाओं का निर्जला व्रत और शिव-पार्वती की आराधना

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जांजगीर-चांपा: जिले में हरतालिका तीज का पर्व बड़े धूमधाम और श्रद्धा के साथ मनाया जा रहा है। यह पर्व विशेष रूप से सुहागिन महिलाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तप किया था। इस व्रत को लेकर मान्यता है कि इसे पूरी श्रद्धा और नियमों का पालन करते हुए रखने से पति की लंबी आयु और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है।

व्रत की परंपराएँ और नियम
हरतालिका तीज के दिन सुहागिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं, जिसका अर्थ है कि वे पूरे दिन बिना पानी पिए रहती हैं। व्रत की शुरुआत सुबह स्नान कर भगवान शिव, माता पार्वती, और उनके परिवार की मिट्टी से बनी प्रतिमाओं की स्थापना से होती है। इसके बाद पूरे विधि-विधान के साथ शिव-पार्वती की पूजा की जाती है। इस पूजा के दौरान महिलाएं विशेष मंत्रों का उच्चारण करती हैं और भगवान शिव और माता पार्वती से अपने पति की लंबी आयु और परिवार की सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। व्रत के दौरान दिन में सोना वर्जित होता है, और महिलाएं रातभर जागकर शिव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना और भजन-कीर्तन करती हैं। ऐसा माना जाता है कि अगर कोई इस दिन सोता है, तो उसे व्रत का पूरा फल नहीं मिलता।

पकवानों की महक
हरतालिका तीज के दिन विभिन्न प्रकार के पारंपरिक पकवान भी बनाए जाते हैं, जिनमें ठकुआल (एक प्रकार की मीठी डिश), मीठी पूरी और गुजिया विशेष रूप से शामिल होते हैं। ये पकवान न केवल व्रत करने वाली महिलाओं के लिए बल्कि उनके परिवार के सदस्यों के लिए भी बेहद खास होते हैं। इस दिन के पकवानों में परिवार और समाज के साथ मिलकर त्योहार का आनंद लेने का अनूठा महत्व है।

व्रत का उद्यापन
व्रत का समापन अगले दिन सुबह होता है। व्रत करने वाली महिलाएं अपने पति के हाथों से पानी पीकर व्रत को संपन्न करती हैं। उद्यापन की यह प्रक्रिया महिलाओं के लिए विशेष रूप से भावनात्मक और आध्यात्मिक होती है, क्योंकि इसे पति की लंबी उम्र और परिवार की खुशहाली के लिए किया जाता है।

व्रत की महत्ता और महिलाएं
स्थानीय महिलाओं ने बताया कि हरतालिका तीज का व्रत उनके लिए वर्ष का सबसे महत्वपूर्ण व्रत होता है। यह न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि इसे पति-पत्नी के रिश्ते में समर्पण और विश्वास का भी प्रतीक माना जाता है। जिले की एक महिला ने बताया, “हम पूरे साल इस व्रत का इंतजार करते हैं। पिछले 10 वर्षों से मैं यह व्रत रख रही हूँ, और इसे पूरी श्रद्धा और हर्षोल्लास के साथ मनाती हूँ।” हरतालिका तीज का पर्व जांजगीर-चांपा जिले में केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि यह महिलाओं के लिए अपने परिवार के प्रति समर्पण और आस्था का प्रतीक है। पूरे जिले में इस पर्व को बड़े उत्साह के साथ मनाया जा रहा है, और महिलाएं अपनी परंपराओं और रीति-रिवाजों को निभाते हुए इस पावन दिन का आनंद ले रही हैं।


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