NEWS BY: Pulse24 News
देहरादून , उत्तराखंड – नगर निगम, नगर पालिका और नगर पंचायतों में आरक्षण की अनंतिम अधिसूचना जारी करने का उद्देश्य उन स्थानीय निकायों के चुनावों में प्रतिनिधित्व को सुनिश्चित करना है। इसमें सामान्यत: पिछड़े वर्गों, अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST), अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) और महिलाओं के लिए आरक्षण का निर्धारण किया जाता है। यह अधिसूचना बताती है कि कौन से वार्ड किस वर्ग के लिए आरक्षित होंगे। इसमें यह भी उल्लेख होता है कि कौन से वार्ड सामान्य (गैर-आरक्षित) होंगे और कौन से आरक्षित जातियों या वर्गों के लिए निर्धारित हैं। महिलों के लिए वार्डों या सीटों का आरक्षण किया जाता है। कुछ सीटें महिलाओं के लिए विशेष रूप से आरक्षित की जाती हैं। यह अधिसूचना यह भी तय करती है कि किस वार्ड में कौन सा वर्ग, जैसे कि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, या अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए सीटें आरक्षित की जाएंगी। इस अधिसूचना के बाद, आमतौर पर एक समयावधि दी जाती है जिसमें लोग और संबंधित पक्ष अपनी आपत्तियां या सुझाव प्रस्तुत कर सकते हैं। यह प्रक्रिया सार्वजनिक राय और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए की जाती है। यदि कोई आपत्ति या सुझाव आता है, तो उनकी समीक्षा की जाती है। इसके बाद एक अंतिम अधिसूचना जारी की जाती है जिसमें आरक्षण की स्थिति को अंतिम रूप से मंजूरी दी जाती है। यह प्रक्रिया स्थानीय चुनावों में न्यायपूर्ण प्रतिनिधित्व को सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है। इस तरह के आरक्षण से उन वर्गों को समान अवसर मिलते हैं जिनका प्रतिनिधित्व कम रहा है।