News By:Pulse24 News Desk
कानपुर – कानपुर के नरवल के सेमरूआ गांव में भेड़िये के हमलों की घटनाओं ने ग्रामीणों के बीच भारी दहशत पैदा कर दी है। हाल ही में हुए इन हमलों के कारण क्षेत्र के लोग अपने घरों से बाहर निकलने में डर महसूस कर रहे हैं।
हमलों की श्रृंखला
पिछले कुछ दिनों में, सेमरूआ गांव में भेड़िये ने कई लोगों पर हमला किया है। सबसे पहले, भेड़िये ने खेतों में काम कर रहे एक बुजुर्ग, एक युवक और एक बच्चे पर हमला किया, जिसमें गंभीर रूप से बच्चा और युवक घायल हो गए। शोर सुनकर आसपास के ग्रामीणों ने तुरंत राहत के लिए प्रयास किए, लेकिन तब तक भेड़िया भाग चुका था। घायल लोगों को तत्काल इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया और अब वे घर लौट चुके हैं।
वन विभाग की कार्रवाई
वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची और ग्रामीणों को आश्वस्त किया कि भेड़िये को जल्द ही पकड़ा जाएगा। हालांकि, ग्रामीणों का आरोप है कि वन विभाग ने इस मामले में कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। विभाग ने न तो जाल बिछवाया और न ही भेड़िये को पकड़ने के लिए कोई अन्य व्यवस्था की। वन विभाग ने बस इतना ही कहा कि ग्रामीण समूह बनाकर बाहर निकलें और खुद को सुरक्षित रखें। इस निर्देश से ग्रामीणों में कोई विशेष राहत नहीं मिली, बल्कि उन्होंने विभाग की नाकामी की ओर इशारा किया।
भेड़िये के नए हमले
बीते दिन, भेड़िये ने फिर से एक बुजुर्ग व्यक्ति पर हमला किया, जिससे गांव में दहशत का माहौल और भी बढ़ गया। इस घटना के बाद, ग्रामीणों ने समूहों में बंटकर खेतों में काम करने का निर्णय लिया है और बच्चों को घर के अंदर ही रहने की सलाह दी जा रही है।
ग्रामीणों की चिंता और वन विभाग की भूमिका
ग्रामीणों ने वन विभाग की गतिविधियों को लेकर गहरी नाराजगी जताई है। उनका कहना है कि विभाग की टीम ने केवल खानापूर्ति की और भेड़िये को पकड़ने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए। ग्रामीणों के अनुसार, भेड़िये की सक्रियता के कारण वे भयभीत हैं और उनके जीवन पर संकट मंडरा रहा है।
आगे की योजना
ग्रामीणों ने मांग की है कि वन विभाग को तत्काल प्रभाव से भेड़िये को पकड़ने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए, जैसे कि जाल बिछाना और अन्य सुरक्षा उपाय लागू करना। इसके साथ ही, उन्हें तत्काल सुरक्षा प्रदान करने की भी आवश्यकता है ताकि वे अपने दैनिक जीवन को सुरक्षित और सामान्य रूप से चला सकें।
कानपुर के सेमरूआ गांव में भेड़िये के हमलों ने गंभीर चिंता पैदा कर दी है। वन विभाग की धीमी और असंवेदनशील प्रतिक्रिया ने ग्रामीणों को और भी असुरक्षित महसूस कराया है। अब समय आ गया है कि विभाग और स्थानीय प्रशासन तत्काल और प्रभावी उपाय लागू करें ताकि ग्रामीणों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके और इस संकट से उबरा जा सके।