NEWS BY: Pulse24 News
देहरादून , उत्तराखंड – नगर निगम देहरादून के वार्ड संख्या 73 विद्या विहार में स्थित वसुन्धरा एन्कलेव, कारगी रोड़ की स्थापना वर्ष 1990 में हुई थी।ये कॉलोनी उस समय की सबसे पुरानी कॉलोनियों में शुमार मानी जाती थी।ये आन्तरिक सड़क 175 मीटर लम्बी व 30 फुट चौड़ी है। स्थापना के लगभग 35 साल बीत जाने के बाद यह सड़क सन् 1992 और सन् 2016 में अभी तक 2 बार डामरीकरण हुई है।इस कॉलोनी की हालत दिनभर दिन बद से बदतर होती जा रही है।भूमि क्रय करते समय भू मालिकों ने सोचा था कि इस 30 फुट सड़क से आने जाने व अनेक सुविधायें मिलेगी, लेकिन अब वो सपना ही रह गया।
अब स्थिति यह है कि बाहर के लोग अपने वाहन कार,टैक्सी, दुपहिया वाहन भी पार्किग व वाहन बैक Reverse करने के लिए भी इसी कॉलोनी में आने लगे हैं। कई वाहन तो दिनभर खड़े देखे जाते हैं। अगर उनको मना कर भी दें तो मारपीट पर उतारू हो जाते हैं। ऐसे में दिनभर कौन लड़ता झगड़ता रहे।अब तो यह सड़क चौड़ी होने के कारण व्यवसायिक रूप भी लेने लगी है।कॉलोनी के मध्य में किसी डॉक्टर द्वारा आवासीय मानचित्र की जगह व्यवसायिक भवन निर्माण कराया जा रहा है।ये निर्माण की बनावट से मिनी अस्पताल बन रहा है।इसके साथ-साथ अब एक और व्यवसायिक फ्लेट निर्माण कार्य भी होने की तैयारी चल रही है।ये सड़क को अब इन व्यवसायिक लोगों की ही होकर रह गई। आये दिन कॉलोनी में चोरी चकारी, झेडखानी, नशा,अश्लीलता आदि के भी मामले देखे जा रहे हैं। कॉलोनी वासियों का सुझाव व प्रस्ताव था कि कॉलोनी के मुख्य प्रवेश द्वार पर एक लोहे का गेट निर्माण किया जाये,लेकिन वो भी इन व्यवसायिक व्यापारियों के विरोध के चलते अवरोधक व बाधित किया जा रहा है।इन लोगों के आतंक व विरोध के चलते कॉलोनी वासियों को ये सड़क जीना दूभर कर रही है।नगर-निगम देहरादून से कॉलोनी में एक कैमरा लगाने की इच्छा जाहिर की है,लेकिन वो भी नगर-निगम देहरादून के लिए लगाना भारी पड़ रहा है।दिनभर दिन इस सड़क का व्यवसायीकरण व अतिक्रमण होता जा रहा है।इसके अतिरिक्त इस कॉलोनी के भवन स्वामियों पर और आफत आन पड़ी है वो है भू स्वामियों के गलत-सलत खाता खतौनी व खसरा नम्बर जो कि बन्दोबस्त के समय राजस्व विभाग की गलती से हुए है , जिनका शुद्धिकरण पटवारी से लेकर प्रधान मंत्री तक कोई नहीं कर सका है।
ये भी आने वाले समय में व आगामी पीढ़ी को जन्म जन्म तक खलता व चुभता रहेगा।ये भी सरकार की ओर से व राजस्व विभाग की ओर से तोहफा व अभिशाप मिला है।ये भी हमेशा याद करते रहेगें। इस कॉलोनी की तो कहीं शिकायत व अपील भी नहीं सुनी जाती हैं। लोग सरकारी मशीनरी के भेदभाव व अड़ियल रवैये से परेशान हैं। सरकारी मशीनरी मूकदर्शक व पंगु बनी है।चीन के तीन बन्दर वाली स्थिति बनी हुई है।कॉलोनी वासियों का कहना है कि हमें नहीं पता था कि चौड़ी सड़क होने से या भवन बनाने से ऐसे भी दिन देखने पड़ेगें।
नगर-निगम से भी निराशा ही मालूम होती है,यहाँ न कोई कीटनाशक दवाओं का झिडकाव न सफाई कर्मचारी ही आते हैं। सफाई कर्मचारी कभी-कभार आ भी गये तो कूड़ा इकठ्ठा करके उठाते नहीं हैं। खाली प्लाटों में भी कूड़े के ढ़ेर देखे जाते हैं। कॉलोनी वासियों का कहना है कि क्या करना ऐसी 30 फुट सड़क का,जब सुख सुविधाओं का अभाव हो।इस सड़क के व्यवसायीकरण व व्यवसायिक गतिविधियों पर रोक लगाने की अपेक्षा करते हैं। ये इस कॉलोनी के लोगों की व्यथा व परेशानी है और सरकार का ध्यान आकर्षित करने की आवश्यकता है।