हरियाणा विधानसभा चुनाव: आप और कांग्रेस के संभावित गठबंधन पर बढ़ी चर्चाएं

हरियाणा विधानसभा चुनाव: आप और कांग्रेस के संभावित गठबंधन पर बढ़ी चर्चाएं

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हरियाणा में विधानसभा चुनावों की तारीखें करीब आ रही हैं, और इस राजनीतिक माहौल में संभावित गठबंधन को लेकर चर्चा तेज हो गई है। आम आदमी पार्टी (AAP) और कांग्रेस के बीच एक बार फिर से गठबंधन की संभावना पर जोर-शोर से चर्चा हो रही है। दोनों दल हरियाणा की राजनीतिक धरातल पर अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए गठबंधन के जरिए चुनावी मैदान में उतरने की योजना बना रहे हैं। हालांकि, सीट बंटवारे को लेकर दोनों पार्टियों के बीच बातचीत अभी तक किसी ठोस नतीजे पर नहीं पहुंची है।

गठबंधन की पृष्ठभूमि और वर्तमान स्थिति
यह पहला मौका नहीं है जब आप और कांग्रेस के बीच गठबंधन की बात हो रही है। इससे पहले 2013 में, जब आप ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में पहली बार भाग लिया था, तब कांग्रेस ने बाहरी समर्थन देकर पार्टी को सरकार बनाने में मदद की थी। उस समय बीजेपी और कांग्रेस दोनों के विकल्प के तौर पर उभरते हुए, आप ने दिल्ली की राजनीतिक तस्वीर को बदल दिया था। हालांकि, यह गठबंधन सरकार ज्यादा समय तक टिक नहीं सकी, और मात्र 49 दिनों के बाद अरविंद केजरीवाल ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद फिर से चुनाव हुए, जिनमें आप ने भारी बहुमत के साथ जीत हासिल की। अब, जब हरियाणा में चुनाव होने वाले हैं, तो दोनों पार्टियां एक बार फिर से गठबंधन की ओर देख रही हैं। लेकिन सीट बंटवारे को लेकर दोनों के बीच असहमति बरकरार है। आम आदमी पार्टी हरियाणा की 90 सीटों में से कम से कम 10 सीटें चाहती है, जबकि कांग्रेस 7 सीटें देने पर ही सहमत हो रही है। यह सीट बंटवारा ही अब तक दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन पर सहमति बनने में सबसे बड़ी अड़चन साबित हो रहा है।

हरियाणा की राजनीति में आप और कांग्रेस का स्थान
हरियाणा की राजनीति पर नजर डालें तो यहां कांग्रेस का एक लंबा इतिहास रहा है। यह राज्य कांग्रेस के लिए हमेशा से महत्वपूर्ण रहा है, लेकिन हाल के वर्षों में पार्टी की लोकप्रियता में गिरावट आई है। 2014 और 2019 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के हाथों करारी हार का सामना करना पड़ा। ऐसे में कांग्रेस के लिए आप के साथ गठबंधन एक बड़ा मौका हो सकता है, जिससे वह बीजेपी को चुनौती दे सके।
दूसरी ओर, आप ने दिल्ली और पंजाब में सफलता प्राप्त करने के बाद हरियाणा की राजनीति में भी अपनी जड़ें मजबूत करने की कोशिश की है। पार्टी ने राज्य में कई बार छोटे-बड़े चुनाव लड़े हैं, लेकिन अब तक उसे वह सफलता नहीं मिल पाई है जो दिल्ली और पंजाब में मिली है। हरियाणा में आप की स्थिति अभी भी उतनी मजबूत नहीं है, लेकिन कांग्रेस के साथ गठबंधन कर पार्टी राज्य में अपनी पकड़ मजबूत कर सकती है।

गठबंधन के फायदे और चुनौतियां
आप और कांग्रेस के बीच संभावित गठबंधन के कई फायदे हैं। सबसे बड़ा फायदा यह है कि दोनों पार्टियां मिलकर बीजेपी को कड़ी टक्कर दे सकती हैं। हरियाणा में बीजेपी की पकड़ मजबूत है, लेकिन आप और कांग्रेस के मिलकर चुनाव लड़ने से विपक्ष को एकजुट करने में मदद मिल सकती है। इससे बीजेपी के खिलाफ वोटों का बंटवारा रुक सकता है और एक संगठित विपक्ष खड़ा हो सकता है। हालांकि, इस गठबंधन की चुनौतियां भी कम नहीं हैं। सीट बंटवारे के अलावा, दोनों पार्टियों के नेताओं और कार्यकर्ताओं के बीच तालमेल बिठाना एक बड़ी चुनौती होगी। हरियाणा में कांग्रेस की अपनी परंपरागत वोट बैंक है, और आप एक नई पार्टी के तौर पर अपने लिए जगह बना रही है। ऐसे में दोनों के बीच तालमेल बिठाना आसान नहीं होगा। इसके अलावा, गठबंधन के बाद नेतृत्व की भूमिका भी महत्वपूर्ण होगी। क्या आप और कांग्रेस के नेता एकजुट होकर चुनाव प्रचार कर पाएंगे? क्या वे मतदाताओं को यह विश्वास दिला पाएंगे कि वे एक स्थिर और मजबूत सरकार दे सकते हैं? यह सवाल भी अहम होंगे।

राजनीतिक समीकरण और भविष्य की संभावना
अगर आप और कांग्रेस के बीच गठबंधन होता है, तो यह हरियाणा की राजनीति में एक नया समीकरण ला सकता है। बीजेपी के खिलाफ यह गठबंधन एक मजबूत विकल्प के रूप में उभर सकता है। लेकिन इसके लिए जरूरी है कि दोनों पार्टियां सीट बंटवारे और नेतृत्व पर सहमति बनाएं। हरियाणा के राजनीतिक परिदृश्य में यह गठबंधन एक निर्णायक भूमिका निभा सकता है। पिछले 12 वर्षों में कई चुनाव ऐसे आए हैं, जब ये दोनों दल कभी साथ खड़े हुए तो कभी अलग-अलग। लेकिन राजनीतिक दलों के लिए चुनावी लाभ के लिए गठबंधन बनाना या तोड़ना कोई नई बात नहीं है। ऐसे में, एक बार फिर से इन दोनों दलों के साथ मिलकर चुनाव लड़ने की संभावना पर विचार किया जा रहा है।

आगे की राह
हरियाणा में 5 अक्टूबर को चुनाव होने हैं और परिणाम 8 अक्टूबर को घोषित किए जाएंगे। इस समय तक यह साफ हो जाएगा कि आप और कांग्रेस के बीच गठबंधन होता है या नहीं। अगर गठबंधन होता है, तो हरियाणा की राजनीति में यह एक बड़ा मोड़ साबित हो सकता है। लेकिन अगर गठबंधन नहीं होता, तो दोनों पार्टियों के लिए यह चुनाव और भी चुनौतीपूर्ण हो जाएगा। अब देखना यह होगा कि आने वाले दिनों में आप और कांग्रेस के बीच बातचीत क्या मोड़ लेती है, और क्या ये दोनों पार्टियां हरियाणा की राजनीति में एक नई इबारत लिखने में कामयाब हो पाती हैं या नहीं।


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