हरियाणा विधानसभा चुनाव: कालका में बाहरी उम्मीदवारों के विरोध में स्थानीय लोग, राजनीतिक दलों के खिलाफ बगावत

हरियाणा विधानसभा चुनाव: कालका में बाहरी उम्मीदवारों के विरोध में स्थानीय लोग, राजनीतिक दलों के खिलाफ बगावत

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हरियाणा: हरियाणा विधानसभा चुनाव के मद्देनजर, कालका में स्थानीय लोगों ने बाहरी उम्मीदवारों को टिकट दिए जाने के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है। विभिन्न राजनीतिक दलों—बीजेपी, कांग्रेस, जेजेपी और आम आदमी पार्टी—के द्वारा बाहरी उम्मीदवारों को उतारे जाने की खबरें सामने आने के बाद स्थानीय लोगों का गुस्सा बढ़ गया है। उनका मानना है कि बाहरी उम्मीदवार कालका की समस्याओं को ठीक से समझ नहीं सकते और स्थानीय मुद्दों के समाधान में सक्षम नहीं होंगे।

स्थानीय समस्याओं की अनदेखी:
कालका विधानसभा क्षेत्र में कालका शहर, पिंजौर, रायतन, दून, मोरनी और रायपुररानी के कुछ इलाके शामिल हैं, जहां पर स्थानीय लोगों को कई बड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। सड़क और परिवहन, पानी की आपूर्ति, स्वच्छता और रोजगार जैसे मुद्दे लगातार हल नहीं हो पा रहे हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि बाहरी उम्मीदवार इन समस्याओं को ठीक से समझने में सक्षम नहीं होंगे, क्योंकि उन्हें क्षेत्र की वास्तविक स्थिति का ज्ञान नहीं है।

राजनीतिक दलों पर आक्षेप:
स्थानीय लोगों का कहना है कि किसी भी राजनीतिक दल ने स्थानीय मुद्दों को ध्यान में रखते हुए स्थानीय उम्मीदवार को टिकट नहीं दिया। इससे पहले, जब भाजपा की सरकार थी और लतिका शर्मा स्थानीय विधायक थीं, तब विकास की गति बेहतर थी। हालांकि, जैसे ही सत्ता बदली, स्थानीय विधायक को चुनाव में हार का सामना करना पड़ा और दूसरी पार्टी का उम्मीदवार जीत गया, जिससे विकास की प्रक्रिया रुक गई।

पार्टी स्तर पर असंतोष:
हरियाणा में बीजेपी की उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी होने के बाद बगावत की शुरुआत हो गई है। बीजेपी के किसान मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष समेत पांच नेताओं ने पार्टी छोड़ दी है, क्योंकि उन्हें अपने क्षेत्रों से स्थानीय उम्मीदवार को टिकट दिए जाने की उम्मीद थी। उनका कहना है कि बाहरी उम्मीदवारों के नाम की घोषणा से पार्टी की जीत की संभावनाएं प्रभावित हो सकती हैं और स्थानीय नेताओं का आक्रोश पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचा सकता है।

सर्वे और संगठन बैठकों का प्रभाव:
कई राजनीतिक पार्टियों की संगठन बैठकों और सर्वे में भी यही बात सामने आई है कि स्थानीय उम्मीदवार की मांग को नजरअंदाज करना पार्टी के लिए नुकसानदेह हो सकता है। कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि अगर पार्टी अपने उम्मीदवार की जीत सुनिश्चित करना चाहती है, तो उसे स्थानीय व्यक्ति को ही टिकट देना होगा।

पार्टी छोड़ने वाले नेताओं की प्रतिक्रिया:
पार्टी छोड़ने वाले नेताओं ने स्पष्ट किया कि उनकी नाराजगी पार्टी की नीतियों और उम्मीदवार चयन की प्रक्रिया के प्रति है। उन्होंने आरोप लगाया कि पार्टी ने स्थानीय जनभावनाओं और मुद्दों की अनदेखी की है। बीजेपी के किसान मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा, “हमने पार्टी के लिए बहुत काम किया है, लेकिन अब पार्टी द्वारा बाहरी उम्मीदवारों को तरजीह देने से हमारे प्रयासों को नकारा जा रहा है। यह स्थिति हमारे लिए अस्वीकार्य है।”


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