NEWS BY: Pulse24 News
जींद , हरियाणा – नरवाना रोड़ निवासी अजय उर्फ मोनू ने घायल पशु-पक्षियों की देखभाल के लिए रेलवे की नौकरी छोड़ दी। अब वे सारा दिन पशु- पक्षियों की देखभाल और उपचार में व्यतीत करते हैं। शहर में कहीं भी घायल पशु या पक्षी दिखाई देता है तो उसको तुरंत अपने बनाए हुए पशु चिकित्सालय में ले जाता है और उनका खुद ही उपचार करता है। एक माह में घायल पशु-पक्षियों पर 30-40 हजार रुपये खर्च हो जाते हैं, जिनमें एक माह में उपचाराधीन कुत्तों को 18 हजार रुपये का दूध पिला देता है। उसने घायल जीव-जंतुओं के लिए आठ हजार रुपये में पशुबाड़ा किराये पर लिया हुआ है, जहां पर घायल जीव-जंतुओं को रखा जाता है और उनका उपचार किया जाता है। वह विभिन्न हादसों में मारे गए चार-पांच हजार जीव-जंतुओं को दफना चुका है। वहीं, ढाई से तीन हजार घायल कुत्ते, बिल्ली, बंदर, तोता, कौआ समेत अनेक पक्षियों का इलाज कर उनकी जान बचा चुका है। पशु-पक्षिओं के साथ उसको बेहद प्यार है। उसके घर पर लगभग 40-50 पशु-पक्षी हैं। ठीक होने पर पक्षी आजाद कर दिए जाते हैं और बंदरों और अन्य जीवों को जंगल में छोड़ देते हैं।
अजय की वर्ष 2020 के दौरान रेलवे में ग्रुप-सी की नौकरी लगी थी। उसके बाद उसने लगभग तीन साल नौकरी की। इसके बाद वर्ष 2023 में उसे सड़क पर एक घायल कुत्ता मिला, जिसे किसी कार ने रौंद दिया था। उसके बाद वह उसे अपने घर ले आया और उसका उपचार शुरू किया। वो अब ठीक है, लेकिन चलने में असमर्थ है। फिर धीरे-धीरे वह घायल जीवों को घर लाने लगा, लेकिन नौकरी पर जाने के कारण वह घायल जीव-जंतुओं की देखभाल नहीं कर पाता था। फिर उसने नौकरी छोड़ने को ठान ली, लेकिन पिता कृष्ण और मां कृष्णा ने उससे नौकरी छोड़ने से मना किया। फिर भी वह नहीं माना और उसने नौकरी छोड़ दी। हालांकि, उसका पिता रेलवे में गैंगमैन के पद से सेवानिवृत्त हो चुके हैं, जिनकी पेंशन से ही उनका गुजारा चल रहा है। घायल पशु-पक्षियों के उपचार के लिए वह दोस्तों से पैसे एकत्रित करता है पिता से भी पैसे ले लेता है।