NEWS BY: Pulse24 News
कोटद्वार , उत्तराखंड – हिमालय के दक्षिण में, समुद्र के उत्तर में, भारत वर्ष है जहां भारत के वंशज रहते हैं” आज उस पावन धरा पर मौजूद होकर जहां हस्तिनापुर के राजा दुष्यंत तथा शकुंतला के गंधर्व विवाह के पश्चात भरत का जन्म हुआ। कालांतर में शकुंतला के इसी पुत्र भरत अर्थात चक्रवर्ती राजा भरत के नाम पर हमारे देश का नाम भारत पड़ा वह स्थान जहां वेद ऋचाओं की स्वर लहरियों से गुंजायमान विशुद्ध वातावरण,पवित्र होम की धूम का सघन वन में विचरण एवं विद्यार्थियों द्वारा अनेक क्रियाकलापों से भविष्य के लिए संस्कृतियों एवं सभ्यताओं के उपार्जन हेतु ज्ञान-विज्ञान, खोज, अविष्कार, उपचार, सिद्धांतों की बुनियाद खोदी जाती रही होगी। मालिनी नदी के दोनों तटों पर छोटे-छोटे आश्रम के रुप में दृष्टिगत हैं. जहां हमारे ऋषि-मुनियों की पारंपरिक शैली में शिक्षा देने की पद्दति आज भी कण्वाश्रम गुरुकुल के रूप में देखी जा सकती है।
कण्वाश्रम उत्तराखंड के गढ़वाल जनपद कोटद्वार की शिवालिक श्रेणी की तलहटी में हेमकूट और मणिकूट पर्वतों की गोद में अवस्थित है जो कि पुरातात्त्विक और ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल है. जो पवित्र मांलन नदी के तट से एवं सघन जंगलों से घिरे हुए इस कण्वाश्रम को एक प्राचीन पवित्र भूमि माना गया है. जहां ऋषि कण्व व विश्वामित्र जैसे महान ऋषि ध्यान किया करते थे. कण्वाश्रम में चारों वेद, व्याकरण, छन्द, निरूक्त, ज्योतिष, आयुर्वेद, कर्मकांड आदि के अध्यापन की व्यवस्था थी ।बसंत पंचमी के पावन पर्व पर उस ऐतिहासिक भूमि में 3 दिवसीय भव्य कण्वाश्रम मेले के पश्चात आज अनेक NSS स्वयंसेवकों एवं समस्त पर्यावरण मित्र एवं समाज सेवी लोगो के माध्यम से एक वृहद स्वच्छता अभियान चलाया गया जिसमें उस पवित्र भूमि की स्वच्छता करने में अपना एक अमूल्य योगदान सभी के द्वारा प्रदान किया गया ।मेला समिति के समस्त पदाधिकारी गणों एवं एम.के.वी.एन कलालघाटी कोटद्वार , राजकीय इंटर कॉलेज झंडीचौड़ एवं कन्या विद्यालय कलालघाटी कोटद्वार विद्यालय से आए NSS स्वयंसेवको के एवं ग्रीन आर्मी देवभूमि उत्तराखंड की ओर से स्वयं एवं स्वयंसेवकों के संयुक्त अथक प्रयास से आज वृहद स्वच्छता अभियान पूर्ण हो पाया जिसमें मेला समिति के अध्यक्ष द्वारा कण्वाश्रम के ऐतिहासिक एवं पौराणिक महत्व को सभी स्वयंस्वकों से साझा किया गया ।