NEWS BY: Pulse24 News
कोटद्वार , उत्तराखंड – उत्तराखंड जो शिक्षा और बुद्धजीवियों में पूरे देश विदेश में डंका बजाए हुए है, वर्तमान में तो केन्द्रीय नेतृत्व से लेकर केन्द्रीय सरकारी मशीनरी में भी शीर्ष भूमिका में नजर आता है। परन्तु किसी ने बिल्कुल सही कहा है कि दिए तले अंधेरा ही होगा। शायद यही कारण है कि आज 25 साल के युवा राज्य में युवा कुमाऊनी गढ़वाली अपने को ठगा महसूस करने लगा है। जो गढ़वाली कुमाऊनी विषम परिस्थितियों में भी देश की सीमाओं पर रात दिन अपनी जान पर खेलकर सुरक्षा देकर देशवासियों को चैन की नींद का सुकून पहुंचा रहा है वही इस कुमाऊनी गढ़वाली की नई पीढ़ी अपनी उत्तराखंड की मूल पहचान,मूल निवास के लिए तड़प रहा है। हाल की कुछ राजनीतिक घटनाक्रमों ने गढ़वाली कुमाऊनी अस्मिता की पहचान, सुरक्षा को लेकर जो जनांदोलन शुरू किए व इस दौरान कुछ बुद्धिजीवियों और अपने हक हकूकों के लिए संघर्षरत युवाओं ने जो गढ़वाली कुमाऊनी अधिकारों पर शोध किए तो चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए।
गैर राजनीतिक संगठन “उत्तराखंड एकता मंच”के बैनर तले हुए शोध परिणामों से जो तस्वीरें सामने आ रही हैं वह आम गढ़वाली कुमाऊनी के लिए उसकी नींद उड़ानें के लिए काफी है। गढ़वाली कुमाऊनी अगर समय रहते नहीं चेते तो निःसंदेह भविष्य की नौनिहाल पीढ़ी अपनी पहचान पूर्णतया समाप्त कर लेगी। वर्तमान पीढ़ी तो संघर्ष करते करते अपने अस्तित्व के लिए आधे अधूरे समर्थन में समय निकाल लेगी परन्तु भावी पीढ़ी का क्या होगा….?
गौरतलब है कि उत्तराखंड बनने से पूर्व 1971 में उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों से संविधान के 5वीं सूची से हटा दिया गया। भारत सरकार की लोकुर समीति ने जनजातीय (सिड्यूल ट्राइब) का दर्जा देने के लिए तैयार किए मानकों के अनुसार विशेष भौगोलिक परिस्थितियों, सामाजिक आर्थिक पिछड़ापन को आधार बनाया था। विशिष्ट संस्कृति के अनुसार उत्तराखंड का पर्वतीय क्षेत्र भी हिमालयी जनजातीय समुदाय की तरह प्रकृति उपासक है। उत्तराखंड के फूलदेई, हरेला,खतडुवा,ईगास बग्वाल, हलिया दशहरा,रम्माण, हिल जात्रा,कठपतिया,ऐपण कला, जादू-टोने पर विश्वास, दिवंगत आत्माओं का आह्वाहन पूजन, जागर प्रथा,वनो व मौसम पर आधारित खेती, पशुपालन जैसी प्रचलित प्रथाओं एवं परम्पराओं का कल्पनातीत न होकर प्रमाणिकता आज भी धरातल पर आज भी जनजातीय समुदाय की परम्पराओं और प्रथाओं को कुमाऊनी गढ़वाली समाज ने पूरी तरह जीवंत किया हुआ है। परन्तु जिस तरह सरकार कुमाऊनी गढ़वाली समुदाय उसके हक हकूकों से दूर करने का कुचक्र रच रही है उसके मंसूबों पर पानी डालने के लिए गढ़वाली कुमाऊनी समुदाय को एकजुट होकर अपने अधिकार संविधान के दायरे में 5वीं अनुसूची लागू करने के लिए पूरे उत्तराखंड में जनांदोलन शुरू करना होगा,इसकी शुरुआत उत्तराखंड एकता मंच ने शुरू किया है उन्हें समर्थन देकर एकजुटता साबित करनी होगी और जो भी गढ़वाली कुमाऊनी का अस्तित्व मिटाने का षडयंत्र रच रहा है उसके मंसूबों को बेपर्दा करना होगा।