यह सोचने वाली बात आम जनता के लिए है की चुनाव के मैदान में अगर प्रत्याशियों की बात की जाये तो एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप के सिवाय कुछ नहीं देखने को मिलेगा,दोनों ही प्रत्यासी एक दूसरे की नाकामियों को गिनवाएँगे जनता के विकास की बड़ी बड़ी बातें करेंगे,
मगर अंदरूनी रूप में देखा जाये तो दोनों पार्टियों के प्रत्याशी आपस में एकदूसरे से किसी प्रकार का विरोध नहीं रखते, सीधा सा फंडा होता है की 5 साल मुझे मैं राज करूँगा और अगले 5 साल तुम करना,
हुआ ऐसा की जब सिरोही सांचौर जालोर से लोकसभा प्रत्याशी वैभव गहलोत ओर भाजपा से प्रत्याशी लुंबाराम चौधरी गौतम जी मेले सिरोही से आ रहे थे, जब रास्ते में एक दूसरे से मिले ओर गले मिले जब रास्ते में गाड़ियों का काफिला रोककर एक दूसरे को गले लगाया और दोनों के चेहरे पर अलग ही तरह की ख़ुशी देखि गयी, ऐसा लग रहा था की दोनों अच्छे दोस्त है इनको तो राजनीती या फिर आम जनता से कोई लेना देना ही नहीं है.
लेकिन जनता को ये समझना चाहिए कि चुनावो के दौरान एक दूसरे से भाईचारा खत्म नही करेंगे, जनता जाये भाड़ में इनको उनसे क्या लेना देना आप देख लो नजारा कुछ ऐसा होता हैं,