News By:Pulse24 News Desk
हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग (HSSC) द्वारा 2018 में निकाली गई ग्रुप डी की 18,218 पदों की भर्ती में Eligible Sports Person (ईएसपी) श्रेणी के आवेदकों के साथ हुई अनदेखी के मामले ने एक बार फिर जोर पकड़ लिया है। शुक्रवार को पंचकूला के ताऊ देवीलाल स्टेडियम में कई आवेदकों ने मीडिया के सामने आरोप लगाया कि अधिक अंक प्राप्त करने के बावजूद उन्हें नियुक्ति नहीं दी गई, जबकि कम अंक प्राप्त करने वाले उम्मीदवारों को नौकरी दे दी गई।
आवेदकों की शिकायतें और सवाल
खेल श्रेणी के आवेदकों ने आरोप लगाया है कि आयोग ने मेरिट सूची में पारदर्शिता का पालन नहीं किया और इसे पूरी तरह दरकिनार कर दिया गया। आवेदक रणदीप कुंडू, मोहित कुमार, वीरभान और रवि कुमार ने कहा कि वे पिछले 6 सालों से न्याय की लड़ाई लड़ रहे हैं। उनका कहना है कि उन्होंने अपनी मेहनत से अच्छे अंक हासिल किए, लेकिन फिर भी उन्हें नियुक्ति नहीं मिली।
रणदीप कुंडू और मोहित कुमार ने आरोप लगाया कि ग्रुप डी की भर्ती परीक्षा में 30, 33, 34 और 40 अंक प्राप्त करने वाले आवेदकों को नजरअंदाज कर, 9, 11, 12, 17, 19, 22, 24 और 26 अंक प्राप्त करने वाले उम्मीदवारों को नौकरी दी गई। यह स्थिति उनके लिए अत्यंत निराशाजनक है, क्योंकि आयोग ने मेरिट को दरकिनार करके नौकरियों का बंटवारा किया है। इन आवेदकों ने अपने आरोपों के सबूत भी मीडिया को दिखाए, जिसमें स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है कि कैसे मेरिट को दरकिनार किया गया।
छह साल की लंबी लड़ाई
इन खिलाड़ियों का कहना है कि वे पिछले छह सालों से नौकरी के लिए संघर्ष कर रहे हैं। इस दौरान उन्होंने कई बार धरने-प्रदर्शन किए और हरियाणा सरकार के मंत्रियों से भी मुलाकात की, लेकिन हर बार उन्हें सिर्फ आश्वासन मिला और कुछ नहीं। रणदीप कुंडू ने कहा कि वे मेरिट पर नौकरी पाने के हकदार हैं, लेकिन सरकार और आयोग ने उनके साथ न्याय नहीं किया। उनके अनुसार, यह मामला केवल उनकी ही नहीं, बल्कि उन सभी खिलाड़ियों की लड़ाई है, जिन्होंने अपनी मेहनत से अच्छे अंक प्राप्त किए और इसके बावजूद उन्हें न्याय नहीं मिला।
ग्रेडेशन वेरीफिकेशन का बहाना
जब ये आवेदक मेरिट में होने के बावजूद चयन सूची से बाहर रखे जाने पर हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग के कार्यालय पहुंचे, तो उन्हें बताया गया कि उनकी ग्रेडेशन की वेरीफिकेशन नहीं हो पाई है। आवेदकों का कहना है कि वेरीफिकेशन करवाना विभाग का काम है, न कि आवेदक का। उन्होंने अपनी ग्रेडेशन सर्टिफिकेट्स सही तरीके से जमा करवाई थीं। इसके बावजूद, वे चयन सूची में शामिल नहीं किए गए।
सरकार और आयोग की जिम्मेदारी
आवेदकों ने मांग की है कि सरकार और हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग यह साबित करें कि उनकी ग्रेडेशन सही नहीं थी। अगर ऐसा नहीं कर पाते हैं, तो उन्हें तुरंत नियुक्ति दी जानी चाहिए। इन आवेदकों का कहना है कि वे पिछले छह सालों से अपनी नियुक्ति का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन हर बार उन्हें मायूसी हाथ लगी है। अब समय आ गया है कि सरकार और आयोग उनकी बात सुने और न्याय करे।
आगे की रणनीति
आवेदकों ने यह भी संकेत दिया है कि अगर सरकार और आयोग ने उनकी मांगों को नहीं सुना, तो वे आगे की कानूनी कार्रवाई करने के लिए मजबूर होंगे। उन्होंने कहा कि यह उनके भविष्य का सवाल है और वे इसे लेकर कोई समझौता नहीं करेंगे। रणदीप कुंडू ने कहा कि वे सभी खिलाड़ी हैं और उन्होंने खेल के मैदान में अपनी कड़ी मेहनत से यह स्थान प्राप्त किया है। अब वे अपने हक के लिए किसी भी हद तक जाएंगे।
निष्कर्ष
हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग द्वारा ग्रुप डी की भर्ती में हुई अनदेखी ने सरकार और आयोग की पारदर्शिता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह मामला केवल कुछ आवेदकों का नहीं, बल्कि उन सभी का है, जिन्होंने अपनी मेहनत से अच्छे अंक प्राप्त किए और फिर भी उन्हें न्याय नहीं मिला। सरकार और आयोग को इस मामले में त्वरित कार्रवाई करते हुए आवेदकों के साथ न्याय करना चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों और खेल श्रेणी के आवेदकों का विश्वास बना रहे। इस मामले में हरियाणा सरकार और कर्मचारी चयन आयोग को जल्द से जल्द आवश्यक कदम उठाने चाहिए, ताकि इन आवेदकों के साथ न्याय हो सके और उन्हें उनके हक की नौकरी मिल सके।