News By:Pulse24 News Desk
देश के विभिन्न हिस्सों में सरकारों द्वारा कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए बुलडोजर कार्रवाई की गई है। इस कार्रवाई के तहत अक्सर आरोपियों के घरों और संपत्तियों को ढहाने का कदम उठाया गया है। इस परिप्रेक्ष्य में सुप्रीम कोर्ट ने इस तरह की कार्रवाइयों पर सवाल उठाए और इसे अनुचित करार दिया। विशेष रूप से उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार द्वारा किए गए बुलडोजर एक्शन पर कोर्ट ने जवाब मांगा था। योगी सरकार द्वारा दाखिल किए गए हलफनामे को देखकर कोर्ट ने न केवल संतोष व्यक्त किया बल्कि उनकी सराहना भी की।
सुप्रीम कोर्ट का रुख: न्यायिक प्रक्रिया का पालन अनिवार्य
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि कोई भी आरोपी, चाहे वह दोषी साबित हो जाए, उसके खिलाफ कार्रवाई करते समय न्यायिक प्रक्रिया का पालन किया जाना चाहिए। कोर्ट का यह मानना है कि किसी भी व्यक्ति की संपत्ति को केवल कानूनी प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही ध्वस्त किया जा सकता है।
बुलडोजर एक्शन पर कोर्ट की सख्ती
सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर एक्शन को लेकर कड़े शब्दों में कहा कि कानून के शासन के तहत किसी भी व्यक्ति के घर को गिराने का अधिकार तभी है जब न्यायिक प्रक्रिया का पालन किया गया हो। कोर्ट ने राज्य सरकारों को याद दिलाया कि कानूनी प्रक्रिया के बिना किसी भी आरोपी के घर को गिराना संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत मिले जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन होगा।
योगी सरकार का जवाब: कानूनी प्रक्रिया का पालन करने का दावा
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अपने जवाब में दावा किया कि प्रदेश में कोई भी घर या संपत्ति बिना कानूनी प्रक्रिया के नहीं गिराई जा रही है। सरकार ने कहा कि सभी अचल संपत्तियों को ध्वस्त करने की प्रक्रिया कानूनी प्रावधानों के अनुसार ही की जा रही है। गृह विभाग के विशेष सचिव ने अपने हलफनामे में कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार कानून का पालन करते हुए ही सभी बुलडोजर कार्रवाई कर रही है और इसमें किसी भी तरह की मनमानी नहीं की जा रही है।
सुप्रीम कोर्ट की प्रतिक्रिया: योगी सरकार की सराहना
योगी सरकार द्वारा प्रस्तुत किए गए हलफनामे को देखकर सुप्रीम कोर्ट ने संतोष जताया और सरकार के रुख की सराहना की। कोर्ट ने कहा कि सरकार ने जो कानूनी प्रक्रिया का पालन करने का आश्वासन दिया है, वह सराहनीय है। कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि हर राज्य सरकार इसी तरह कानूनी प्रक्रियाओं का पालन करेगी तो न्यायिक व्यवस्था में लोगों का विश्वास बना रहेगा।
पूरे देश के लिए दिशा-निर्देश जारी करने की तैयारी
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को राष्ट्रीय महत्व का मानते हुए कहा कि पूरे देश के लिए कुछ दिशा-निर्देश जारी किए जाने चाहिए ताकि इस तरह के मामलों में एक समानता हो सके और किसी भी व्यक्ति के साथ अन्याय न हो। कोर्ट ने मामले के पक्षकारों से उनके सुझाव भी मांगे हैं ताकि उचित और न्यायसंगत दिशा-निर्देश बनाए जा सकें।
कानून का शासन और बुलडोजर कार्रवाई
सुप्रीम कोर्ट ने अपने रुख में कानून के शासन को प्राथमिकता दी है। कोर्ट का यह मानना है कि बिना कानूनी प्रक्रिया का पालन किए किसी भी प्रकार की जबरदस्ती या मनमानी कार्रवाई न केवल व्यक्ति के अधिकारों का उल्लंघन है, बल्कि यह कानून की धज्जियां उड़ाने जैसा भी है।
निष्कर्ष: न्यायिक प्रक्रिया का सम्मान जरूरी
सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय न केवल योगी सरकार के लिए, बल्कि देश भर की राज्य सरकारों के लिए भी एक महत्वपूर्ण संदेश है। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि कानून का पालन और न्यायिक प्रक्रिया का सम्मान सभी के लिए अनिवार्य है। सरकारों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि किसी भी आरोपी के खिलाफ कार्रवाई करते समय न्याय और कानून की सभी प्रक्रियाओं का पालन किया जाए। सुप्रीम कोर्ट का यह कदम कानून के शासन को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है।