News By:Pulse24 News Desk
देहरादून, 9 सितंबर 2024: उत्तराखंड के जल संसाधनों को सहेजने और उन्हें पुनर्जीवित करने के उद्देश्य से, अपर मुख्य सचिव श्री आनंद बर्द्धन ने सोमवार को सचिवालय में स्प्रिंग एंड रिवर रिजूविनेशन प्राधिकरण (SARRA) की जनपद एवं अंतरविभागीय समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की। इस बैठक में जल संरक्षण, भूजल पुनर्भरण, और सूख चुके हैंडपंपों को पुनर्जीवित करने के विषयों पर विस्तृत चर्चा की गई।
सभी विभागों को योजनाओं को गंभीरता से लागू करने के निर्देश
बैठक के दौरान, अपर मुख्य सचिव ने सभी संबंधित विभागों को निर्देश दिया कि वे SARRA के अंतर्गत चल रही योजनाओं को गंभीरता से लें और सुनिश्चित करें कि इन योजनाओं को निर्धारित समय सीमा में पूरा किया जाए। उन्होंने विशेष रूप से जोर देते हुए कहा कि आगामी 15 दिनों के भीतर जनपदों में लंबित कार्यों का परीक्षण करवा कर रिपोर्ट शासन को भेजी जाए। इसके अलावा, जो कार्य धरातल पर पूर्ण हो चुके हैं, उनके आउटकम और आंकड़े प्रस्तुत करने के निर्देश भी दिए।
हैंडपंपों का पुनर्भरण और भूजल संरक्षण पर जोर
श्री बर्द्धन ने राज्य में बंद पड़े हैंडपंपों को पुनः रिचार्ज करने की दिशा में भी कार्य करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि भूजल पुनर्भरण के लिए इन हैंडपंपों का उपयोग किया जाए और इसके लिए एक ठोस कार्य योजना बनाई जाए। उन्होंने यह भी सुनिश्चित करने के लिए कहा कि राज्य में पिछले साल तक पूर्ण रूप से सूख चुके हैंडपंपों की गिनती भी की जाए, ताकि जल स्रोतों के संरक्षण और पुनर्भरण के प्रयासों को और अधिक सटीकता से लागू किया जा सके।
वैज्ञानिक विधियों से क्रिटिकल जल स्रोतों का उपचार
अपर मुख्य सचिव ने बैठक में उपस्थित अधिकारियों को क्रिटिकल जल स्रोतों के उपचार के लिए वैज्ञानिक विधियों का उपयोग करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि स्प्रिंगशेड और रिचार्ज क्षेत्रों की पहचान और सीमांकन का काम वैज्ञानिक तरीकों से किया जाए, ताकि जल स्रोतों का संरक्षण प्रभावी रूप से हो सके। जल संरक्षण के साथ ही, जल की गुणवत्ता को भी प्राथमिकता देने के निर्देश दिए गए।
विभागीय समन्वय और तकनीकी अध्ययन पर विशेष ध्यान
बैठक में श्री बर्द्धन ने पेयजल निगम, जल संस्थान, सिंचाई एवं लघु सिंचाई विभाग के बीच आपसी समन्वय बढ़ाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि जिन कार्यों को विभागों द्वारा चिन्हित किया गया है, उनमें तेजी लाई जाए और हर योजना का तकनीकी अध्ययन अवश्य करवाया जाए, ताकि कार्यों की गुणवत्ता और प्रभावशीलता सुनिश्चित हो सके।
चिन्हित किए गए क्रिटिकल जल स्रोतों पर कार्यवाही
बैठक के दौरान बताया गया कि पेयजल निगम ने राज्य में कुल 78 और जल संस्थान ने 415 क्रिटिकल जल स्रोतों को चिन्हित किया है, जिन पर विभिन्न स्तरों पर कार्य गतिमान है। ये जल स्रोत प्रदेश के लिए महत्वपूर्ण हैं और इनके संरक्षण एवं पुनर्जीवन के लिए किए जा रहे प्रयासों को प्राथमिकता दी जा रही है।
अधिकारीगण की भागीदारी
इस महत्वपूर्ण बैठक में अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी (SARRA) श्रीमती नीना ग्रेवाल, आईएफएस श्री आर.के मिश्रा, अपर सचिव श्रीमती गरिमा, लघु सिंचाई विभाग के प्रमुख श्री बीके तिवारी और अन्य संबंधित अधिकारीगण भी उपस्थित रहे। सभी अधिकारियों ने जल स्रोतों के संरक्षण के लिए अपने-अपने विभागों की योजनाओं और प्रगति की जानकारी दी।
भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयारियां
इस बैठक में दिए गए निर्देशों से यह स्पष्ट होता है कि राज्य सरकार जल संसाधनों के संरक्षण और पुनर्जीवन के लिए गंभीर है। जल संकट के बढ़ते खतरे को देखते हुए, यह बैठक एक महत्वपूर्ण कदम है जो राज्य को जल सुरक्षा की दिशा में मजबूती प्रदान करेगा।