सूफी राशिद की गंगाजल और गीता पर आपत्ति, वक्फ बोर्ड अध्यक्ष ने पलटवार किया

सूफी राशिद की गंगाजल और गीता पर आपत्ति, वक्फ बोर्ड अध्यक्ष ने पलटवार किया

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रूड़की, ईदगाह चौक के पास एक निजी होटल में अजमत ए रसूल चिश्ती साबरी ट्रस्ट के अध्यक्ष सूफी राशिद ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कई मुद्दों पर अपनी राय दी। इस दौरान उन्होंने एक विवादास्पद बयान देकर हलचल मचा दी, जो अब चर्चा का केंद्र बन गया है।

सूफी राशिद का विवादास्पद बयान:
सूफी राशिद ने कहा कि पिरान कलियर के सालाना उर्स में पाकिस्तानी जायरीनों को गंगाजल और श्रीमद्भागवत गीता देने का कदम मुस्लिम परंपरा के खिलाफ है। उनका कहना है कि ऐसे जायरीनों को कुरान शरीफ, खजूर, और साबिर साहब की चादर भेंट में दी जानी चाहिए, न कि हिंदू धार्मिक ग्रंथ और गंगाजल। सूफी राशिद का यह बयान पिछले साल कलियर उर्स के समापन पर पाकिस्तानी जायरीनों को गंगाजल और गीता भेंट देने को लेकर है।

विवाद का संदर्भ:
पिछले साल उर्स के दौरान वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स ने पाकिस्तानी जायरीनों को गंगाजल और श्रीमद्भागवत गीता भेंट की थी। इस पर सूफी राशिद ने आपत्ति जताई है और इसे मुस्लिम परंपरा के खिलाफ बताया। उनके अनुसार, ऐसी भेंट मुस्लिम संस्कृति और परंपराओं के अनुरूप नहीं हैं और इनसे धार्मिक सम्मान को ठेस पहुंचती है।

वक्फ बोर्ड अध्यक्ष का पलटवार:
सूफी राशिद के बयान पर वक्फ बोर्ड अध्यक्ष शादाब शम्स ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। शम्स ने कहा कि इस तरह की बयानबाजी आतंकी सोच वाले लोगों द्वारा की जा सकती है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी जायरीनों को गंगाजल और गीता भेंट देने का उद्देश्य एक सकारात्मक संदेश देना था। शम्स ने स्पष्ट किया कि जो लोग हिंदुस्तान में रहते हुए भगवान श्री राम और श्री कृष्ण से परेशानी महसूस करते हैं, उन्हें इस देश में रहने का कोई अधिकार नहीं है।

प्रस्तावित कार्यक्रम:
सूफी राशिद ने पत्रकार वार्ता के दौरान बताया कि बारह रबी उल शरीफ को देशभर में धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन ट्रस्ट द्वारा साबिर पाक दरगाह में चादरपोशी की जाएगी। इसके उपलक्ष्य में 15वें रबी उल शरीफ, 19 अगस्त को जश्ने बाबा फरीद का आयोजन भी होगा, जिसमें देश के नामी कव्वालों द्वारा कव्वाली की प्रस्तुति दी जाएगी। इस कार्यक्रम में विभिन्न दरगाहों और दरबारों से सूफी संत भी शामिल होंगे।

समाज में प्रभाव:
सूफी राशिद का बयान और वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष का पलटवार धार्मिक और सामाजिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण विषय बन गए हैं। इस विवाद ने धार्मिक सम्मान और सांस्कृतिक परंपराओं पर चर्चा को प्रेरित किया है। यह मुद्दा समाज के विभिन्न हिस्सों में मतभेद और विचारों की विविधता को उजागर करता है।

सूफी राशिद का विवादास्पद बयान और शादाब शम्स का पलटवार धार्मिक सहिष्णुता और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के महत्वपूर्ण पहलुओं को सामने लाते हैं। यह स्थिति यह दर्शाती है कि धार्मिक और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के प्रयासों को लेकर समाज में अलग-अलग दृष्टिकोण हो सकते हैं। इस मामले की गहनता और इसके सामाजिक प्रभाव को ध्यान में रखते हुए सभी पक्षों को आपसी समझ और सहयोग के साथ आगे बढ़ना होगा।


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