News By:Pulse24 News Desk
बेंगलुरु: कर्नाटक उच्च न्यायालय ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की याचिका को खारिज करते हुए उन्हें एक महत्वपूर्ण झटका दिया है। अदालत ने स्पष्ट किया है कि राज्यपाल थावरचंद गहलोत को व्यक्तिगत शिकायत के आधार पर FIR दर्ज करने की अनुमति देने का अधिकार है।
मामले की पृष्ठभूमि:
सीएम सिद्धारमैया ने मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) के साइट आवंटन मामले में राज्यपाल की मंजूरी की वैधता को चुनौती दी थी। उनका कहना था कि यह कार्रवाई राजनीतिक प्रतिशोध के तहत की जा रही है। हालांकि, अदालत ने उनकी दलीलों को सुनने के बाद याचिका को अस्वीकार कर दिया।
अदालत का आदेश:
कर्नाटक उच्च न्यायालय ने 12 सितंबर को इस मामले में सुनवाई पूरी की थी और आदेश सुरक्षित रख लिया था। अदालत ने बेंगलुरु की एक विशेष अदालत को निर्देश दिया था कि वह मामले की आगे की कार्यवाही को स्थगित करे और मुख्यमंत्री के खिलाफ किसी भी जल्दबाजी में कार्रवाई न करे।
राज्यपाल की भूमिका:
अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि राज्यपाल के पास व्यक्तिगत शिकायत के आधार पर FIR दर्ज करने का अधिकार है। यह फैसला मुख्यमंत्री के लिए एक चुनौती बन सकता है, क्योंकि यह राजनीतिक और कानूनी मामलों में राज्यपाल की भूमिका को फिर से परिभाषित करता है।
सिद्धारमैया का राजनीतिक दृष्टिकोण:
इस मामले के संदर्भ में, सीएम सिद्धारमैया ने कहा था कि यह मामला उनकी छवि को नुकसान पहुँचाने के लिए लाया गया है। अब अदालत के फैसले के बाद, उन्हें अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए आगे की रणनीति पर विचार करना होगा।
अब, उच्च न्यायालय के फैसले के बाद, यह देखना होगा कि सीएम सिद्धारमैया इस मामले में आगे क्या कदम उठाते हैं। राजनीतिक हलकों में इस फैसले के बाद चर्चाएँ तेज हो गई हैं, और आगामी राजनीतिक घटनाक्रम पर नजर रखना आवश्यक होगा
यह मामला कर्नाटक की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है, और मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की राजनीतिक भविष्यवाणी पर गहरा प्रभाव डाल सकता है।