News By:Pulse24 News Desk
धारवाड़, कर्नाटका: धारवाड़ जिले के कलघटगी तालुका के मिश्रीकोटी गांव में एक युवक की आत्महत्या का मामला सामने आया है, जो साहूकारों की प्रताड़ना का शिकार बना। यह घटना इस बात का एक और उदाहरण है कि कैसे अवैध वित्त और सूदखोरी की प्रथा गांवों में विकराल रूप धारण कर चुकी है।
सूदखोरी का बढ़ता जाल
गांव में सूदखोरी का ऐसा माहौल है कि जहां हर जगह सौ रुपये प्रति सप्ताह पर दस रुपये का ब्याज वसूला जा रहा है, लेकिन इसके बारे में कोई कुछ बताने को तैयार नहीं है। अवैध वित्त का कारोबार यहां आम बात बन चुका है। कुत्ते की छतरी की तरह अवैध फंडिंग के स्रोत सक्रिय हैं, और शाम होते ही लोग हाथ में किताब और कलम लेकर पालतू जानवरों के बाजार में घूमते हैं, पैसे इकट्ठा करने के लिए।
यहां प्रत्येक दुकान में बीस से तीस वित्तीय पुस्तिकाएं मिलती हैं, जिनमें से नब्बे प्रतिशत से अधिक अवैध हैं। इस प्रकार के धंधे धड़ल्ले से चल रहे हैं और लोगों को दिक्कत में डाल रहे हैं।
लोगों की दयनीय स्थिति
सूदखोरी की चपेट में आने वाले लोगों ने अपनी संपत्तियां बेचकर गुजारा करने की कोशिश की है। कई ऐसे उदाहरण हैं जहां लोगों ने अपने घर बेच दिए, और जिनके पास कोई संपत्ति नहीं थी, वे अपने परिवारों को छोड़कर दूसरे राज्यों और शहरों में चले गए हैं।
पुलिस की अनदेखी
कलघटगी थाने में इस प्रकार के कई मामले पहले से दर्ज हैं, फिर भी स्थानीय पुलिस अधिकारी इस समस्या की अनदेखी कर रहे हैं। राजा, एक स्थानीय निवासी, ने पुलिस पर नाराजगी जताई कि वे जुए के खिलाफ कार्रवाई कर रहे हैं, लेकिन सूदखोरी के कारोबार पर कोई ध्यान नहीं दे रहे।
सरकार की जिम्मेदारी
इस गंभीर समस्या के समाधान के लिए जरूरी है कि संबंधित मंत्री और अधिकारी इसे गंभीरता से लें। सरकार को तालुका स्तर पर एक हेल्पलाइन स्थापित करनी चाहिए ताकि लोग सूदखोरी की शिकायत कर सकें।
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सूदखोरों के खिलाफ ठोस कार्रवाई के लिए हेल्पलाइन की स्थापना से समस्याएं सामने आएंगी और जनता के हित में कदम उठाए जाएंगे। अगर सरकार इस दिशा में उचित कदम नहीं उठाती है, तो लोग इसी तरह से पीड़ित होते रहेंगे और इस संकट से बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं मिलेगा।
यह स्थिति साफ दर्शाती है कि अवैध वित्त और सूदखोरी की समस्या कितनी गंभीर है, और इसे खत्म करने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। सरकार, प्रशासन और पुलिस को मिलकर इस संकट का सामना करना होगा ताकि लोगों को राहत मिल सके और उन्हें बेहतर जीवन जीने का मौका मिले।