News By:Pulse24 News Desk
सागर , मध्य प्रदेश – देश भर में शारदीय नवरात्रि पर्व की धूमधाम के बीच, बुंदेलखंड अंचल के सागर में माता दुर्गा की अनूठी स्थापना की परंपरा देखने को मिलती है। यहां पुरव्याऊ टोरी पर पिछले 120 वर्षों से मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित की जा रही है, जो प्रत्येक नवरात्रि के अवसर पर पर श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र बनती है।
यह पंडाल विशेष रूप से अपनी 120 साल पुरानी परंपरा के लिए जाना जाता है। भक्तों द्वारा मां दुर्गा का स्वरूप मिट्टी से तैयार किया जाता है, जिसे बाद में सुनहरे रंग के आभूषण पहनाए जाते हैं। इस दौरान, श्रद्धालु मां के प्रति अपनी भक्ति दिखाते हैं और मिट्टी से बनी प्रतिमा को अपने हाथों से स्थापित करते हैं।
माता की प्रतिमा का विसर्जन भी एक अनूठा अनुभव है। जब माता का विसर्जन होता है, तो भक्त उन्हें अपने कंधों पर उठाते हैं और सड़क के दोनों ओर लोग मां के दर्शन के लिए उमड़ पड़ते हैं। यह दृश्य भक्तिभाव और उमंग से भरपूर होता है।
120 वर्षों से चली आ रही इस अनोखी परंपरा में जैविक तरीके से माता की मूर्ति का निर्माण किया जाता है, जो आज भी जारी है। यह न केवल स्थानीय संस्कृति को संरक्षित करता है, बल्कि नई पीढ़ी के लिए भी एक मिसाल प्रस्तुत करता है कि कैसे परंपराओं को समय के साथ सहेजकर रखा जा सकता है।
हर साल, नवरात्रि के दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां आते हैं। वे मां के प्रति अपनी भक्ति प्रकट करते हैं और इस अवसर पर आस्था और श्रद्धा का अनूठा नजारा प्रस्तुत करते हैं। बुंदेलखंड के सागर में मां दुर्गा की यह स्थापना और विसर्जन की परंपरा न केवल धार्मिक महत्व रखती है, बल्कि यह क्षेत्र की सांस्कृतिक पहचान का भी प्रतीक है।
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इस प्रकार, सागर के पुरव्याऊ टोरी में मां दुर्गा की स्थापना न केवल श्रद्धा और आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह 120 वर्षों से चली आ रही परंपरा को जीवित रखने का भी एक उदाहरण है। इस नवरात्रि, वर्षों से चले आ रहे भक्तों का समर्पण और प्रेम एक बार फिर से इस महान परंपरा को जीवित रखेगा।