क्या इस तरह कोई बेटा अपने पिता के साथ प्रॉपर्टी के लिए अमानवीय व्यव्हार कर सकता है, इसका नतीजा क्या निकला आइये देखते हैं,,,,,,,
एक पिता जीवन भर अपने दुःख सुख को भूलकर सिर्फ अपनी संतान को आगे बढ़ने के लिए दौड़ता भागता रहता है, न ही उसे गर्मी दिखती है न ही उसे शर्दी, पर जब इस तरह के व्यव्हार चाहे प्रॉपर्टी के लिए हो या फिर किसी मामूली सी कहासुनी पे तो उस औलाद को सजा देने के लिए लिए कानून की नहीं समाज की जरुरत पड़ती है, अपने देश का कानून इतना लचीला है की कुछ ही समय में अपराधी आम जीवन इसी समाज के बिच में रहकर जीने लगता है, पर यही सजा समाज की तरफ से दी गयी होती तो उसे देखकर ऐसे कई आदमखोरों को शिक्षा मिल जाती है, आये दिन देखते हैं की बाप ने जीवन भर ऑटो चलकर गरीबी में रहकर अपने बेटे को अफसर बनाया पर वो ही बेटा अफसर बनने के बाद अपने पिता से दूरियां बढ़ा लेता है, उस बेटे को ऐसा लगता है की मेरे पापा को कहीं लेकर जाऊंगा तो मेरे स्टेटस पर असर पड़ेगा। क्या पापा ने दिन रात मेहनत करके अपने बेटे को इसलिए बड़ा किया की एक दिन वो ही उसे मार डाले,