NewsBy-Pulse24 News Desk
महाराष्ट्र- विधानसभा चुनाव के संदर्भ में, 4 नवंबर को नामांकन की अंतिम तिथि के मद्देनज़र राजनीति में एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम देखने को मिला। विनोद सदाफले, जिन्होंने पहले स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में विधानसभा चुनाव लड़ने की इच्छा व्यक्त की थी, ने अपनी उम्मीदवारी वापस ले ली। इसके बाद, विधायक हरीश पिंपले ने भाजपा के साथ अपनी मजबूती को दर्शाते हुए सार्वजनिक रूप से भारतीय जनता पार्टी बीजेपी में शामिल होने का ऐलान किया।
भा.ज.पा. में शामिल होने वाले नेता
भा.ज.पा. में विनोद सदाफले के साथ-साथ कई अन्य प्रमुख नेता भी शामिल हुए। दलित नेता संजय धनाले, विनोद सदाफले, संतोष विल्हेकर, योगेश डोके, प्रवीण सदाफले, भूषण धनाडे, मंगेश ढोके, विलास विल्हेकर, वैभव सदाफले, संजय सदाफले, कार्तिक सदाफले, सुधाकर महल्ले, गणेश महल्ले, प्रवीण दही, दत्तात्रे साबले, गोपाल महल्ले, अमित महल्ले, ज्ञानेश्वर वानखड़े, राहुल गायकवाड, प्रदीप वाघमारे, और रुखदेव सदाफले जैसे नेताओं ने भाजपा की सदस्यता ली।
इन नेताओं के भाजपा में शामिल होने से पार्टी को राज्य और क्षेत्रीय राजनीति में एक मजबूती मिली है। विशेष रूप से, भाजपा में शामिल हुए इन नेताओं का दलित समुदाय से गहरा संबंध रहा है, जो पार्टी के लिए एक सशक्त समर्थन का आधार बन सकता है।
हरीश पिंपले का भाजपा में शामिल होने पर विचार
इस अवसर पर विधायक हरीश पिंपले ने अपने विचार साझा किए। उन्होंने पार्टी में शामिल होने के बाद कहा कि उनकी प्राथमिकता हमेशा जनहित रही है, और भारतीय जनता पार्टी के साथ जुड़कर वे अपनी योजनाओं और कार्यों को और प्रभावी ढंग से लागू कर सकेंगे। पिंपले ने भाजपा के सिद्धांतों और नेतृत्व की सराहना की और कहा कि भाजपा ही एकमात्र ऐसी पार्टी है जो वंचितों और समाज के सभी वर्गों के लिए काम कर रही है।
भा.ज.पा. कार्यकर्ताओं की उपस्थिति
इस कार्यक्रम में भाजपा के कई कार्यकर्ता और नेताओं की उपस्थिति रही, जिसमें शहर अध्यक्ष सबजकर, बार्शीटाकली से संजय इंगले, जोगदंड गुरुजी, हर्षल साबले, अमित नागवान, अविनाश यवले, नीलेश वानखड़े समेत बड़ी संख्या में कार्यकर्ता शामिल हुए। इन सभी ने भाजपा में विश्वास व्यक्त करते हुए आगामी विधानसभा चुनाव में पार्टी के लिए काम करने का संकल्प लिया।
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भा.ज.पा. का भविष्य और समर्थन
इस घटनाक्रम से यह साफ हो गया कि भाजपा अब विधानसभा चुनाव के लिए एक मजबूत और समर्पित कार्यकर्ता वर्ग के साथ तैयार है। साथ ही, यह पार्टी के बढ़ते समर्थन को भी दर्शाता है, खासकर उन क्षेत्रों में, जहां दलित समुदाय के नेताओं का प्रभाव अधिक है। भाजपा के नेताओं के इस बदलाव को लेकर राज्य और क्षेत्रीय राजनीति में नई संभावनाओं का दरवाजा खुल सकता है।