NewsBy-Pulse24 News Desk
उत्तरप्रदेश- गोंडा जनपद में एक बार फिर से कानून व्यवस्था पर सवाल उठ रहे हैं, जब एक रेस्टोरेंट में जन्मदिन मना रहे युवकों पर दबंगों द्वारा फायरिंग की गई। यह घटना गोंडा की नगर कोतवाली क्षेत्र के एक रेस्टोरेंट की है, जहां दबंगों ने गोली चला दी, लेकिन शुक्र है कि किसी को गंभीर चोट नहीं आई। घटना की जानकारी मिलने के बाद नगर कोतवाली पुलिस मामले की जांच में जुट गई है, लेकिन इससे एक बड़ा सवाल यह उठता है कि क्या जनपद में कानून व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा चुकी है?
कानून व्यवस्था का विश्वास टूटने लगा है
गोंडा में लगातार हो रही आपराधिक घटनाएं यह दर्शाती हैं कि जनपद में कानून-व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो चुकी है। लोग अब खुद को सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे हैं और उनका पुलिस और प्रशासन पर से धीरे-धीरे विश्वास खत्म होता जा रहा है। अपराधी बेखौफ होकर अपनी हरकतें कर रहे हैं और पुलिस हाथ पर हाथ रखे बैठी हुई है। ऐसा लगता है कि यहां अपराधियों के सामने कानून तुच्छ साबित हो रहा है।
गोंडा में बढ़ते अपराधों की चिंताजनक स्थिति
हाल के वर्षों में गोंडा में अपराधों का ग्राफ काफी बढ़ा है, और अब यह जिला अपराध की गढ़ी बनता जा रहा है। हत्याएं, लूट, डकैती, फिरौती, अपहरण और गोलीबारी जैसी घटनाएं आम बात हो गई हैं। खासतौर पर हत्या और फायरिंग की घटनाओं का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा है। हालांकि पुलिस अधीक्षक के नेतृत्व में प्रशासन अपराधियों पर अंकुश लगाने के लिए प्रयासरत है, लेकिन इनके प्रयासों के बावजूद अपराध कम नहीं हो रहे हैं, बल्कि बढ़ते ही जा रहे हैं।
योगी सरकार की ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति पर सवाल
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति का दावा करती है, जिसका लक्ष्य राज्य में अपराधों पर कड़ी कार्रवाई करना और अपराधियों को कड़ी सजा दिलाना है। लेकिन गोंडा में लगातार हो रही आपराधिक घटनाओं से यह सवाल उठता है कि क्या यह नीति सिर्फ कागजी घोड़ा बनकर रह गई है? आखिर क्यों गोंडा में अपराधियों के हौसले बुलंद हैं और पुलिस प्रशासन इसे नियंत्रित करने में नाकाम साबित हो रहा है?
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पुलिस की कार्यशैली पर उठ रहे हैं सवाल
गोंडा में अपराधियों का मनोबल बढ़ता जा रहा है, और इसके पीछे सबसे बड़ा कारण पुलिस की निष्क्रियता और लचर कार्यशैली है। पुलिस कार्रवाई में ढील और अपराधियों को पकड़ने में असफलता से यह मामला और भी गंभीर हो गया है। पुलिस प्रशासन की कार्यशैली पर अब यह सवाल उठने लगे हैं कि क्या पुलिस अधीक्षक और उनका प्रशासन इस अपराधीकरण के माहौल को खत्म करने में सफल हो पाएंगे? क्या गोंडा में अपराध की घटनाएं इसी तरह होती रहेंगी, या पुलिस कभी इन पर नियंत्रण पाएगी?