बांग्ला विश्व की मधुर भाषा में प्रथम स्थान पर है: डॉ कृष्ण कुमार गुप्ता

बांग्ला विश्व की मधुर भाषा में प्रथम स्थान पर है: डॉ कृष्ण कुमार गुप्ता

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हजारीबाग , झारखण्ड – अन्नदा महाविद्यालय, हजारीबाग परिसर में आयोजित दो दिवसीय निखिल भारत बंग साहित्य सम्मेलन के दूसरे दिन ‘ बांग्ला के साथ अन्य भाषाओं का मेल बंधन ‘ विषय पर विमर्श आयोजित किया गया । मुख्य वक्ता विनोबा भावे विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के अध्यक्ष डॉ. कृष्ण कुमार गुप्ता ने विस्तार से बांग्ला के उद्भव और विकास पर प्रकाश डालते हुए विभिन्न क्षेत्रीय भाषाओं के साथ बांग्ला के अंतर्संबंधों को रेखांकित किया। डॉ . गुप्ता ने बांग्ला भाषा की विशेषताओं को सामने रखते हुए कहा कि यह अपने गुणों एवं संस्कार की बदौलत निरंतर आगे बढ़ते हुए विश्व की भाषाओं में छठे स्थान पर तथा भारत में हिन्दी के बाद दूसरे स्थान पर है। संस्कृत के तत्सम शब्दों से जुड़े रहना इसकी सबसे बड़ी उपलब्धि है। इन्हीं गुणों के कारण अपने सर्वेक्षण में यूनेस्को ने बांग्ला को विश्व की मधुर भाषाओं में पहले स्थान पर पाया है। उन्होंने कहा कि विदेशी शासकों के भाषा संबंधी हस्तक्षेप के बावजूद आज भी बांग्ला सशक्त भाषा है और इसका समृद्ध साहित्य इस देश की धरोहर है जो आनेवाली पीढ़ी को भारतीय संस्कृति को भविष्य में जोड़े रख सकती है। दूसरे वक्ता श्री हितनाथ झा ने बांग्ला और मैथिली के संबंधों पर प्रकाश डालते हुए इन दोनों भाषाओं को एक ही डाली के दो फूल की तरह बतलाया। अपने अध्यक्षीय भाषण में रांची से आयीं श्रीमती सुदीप्तो भट्टाचार्जी ने विभिन्न भाषाओं से आगत शब्दों को बांग्ला द्वारा अपने भीतर समाहित किए जाने का जिक्र किया। इस कार्यक्रम में मंच संचालन श्री मनोज सेन ने किया।


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