NEWS BY: Pulse24 News
कानपुर , उत्तर प्रदेश – GSVM प्रदेश का पहला ऐसा मेडिकल कॉलेज बन गया है। जहां रेटीना की सर्जरी शुरू हो गई है। अब यहां पर रेटीना की जटिल से जटिल दिक्कतों का भी ऑपरेशन संभव है। आंख की छिल्ली का फटना, मोतियाबिंद गिर जाना, लेंस गिर जाना जैसी स्थिति में आमतौर पर आंखों की रोशनी चली जाती है , जिसका इलाज अब कानपुर मेडिकल कॉलेज में संभव हो गया है। आंखों की रोशनी जाने का खतरा और आंखों से संबंधित कई बीमारियां ऐसी होती है, जिसमें मरीज की आंखों की रोशनी चली जाती है। मेडिकल कॉलेज के नेत्र रोग विभाग के प्रोफ़ेसर डॉ. परवेज खान ने बताया कि जब मोतियाबिंद काफी पुराना हो जाता है और आंखों के अंदर का कैप्सूल फट जाता है , तो ऐसे में ऑपरेशन करना मुश्किल हो जाता है। इस स्थिति में आंखों में लेंस भी नहीं लग पाता है। ऐसे में मरीज की आंखों की रोशनी पूर्ण रूप से चली जाती है। कुछ मोतियाबिंद ऐसे भी होते है, जिसमें लेंस नहीं लग पाता है। इसके अलावा जब आंखों के पर्दे की छिल्ली फट जाती है तो इसमें भी ऑपरेशन करना मुश्किल हो जाता है।
डॉ. परवेज खान ने बताया कि रेटीना का ऑपरेशन आइरिस विधि, स्क्लेरल विधि और गूल्ड IOL विधि से ऑपरेशन किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि ये ऑपरेशन अगर कही किसी निजी अस्पताल में कराते है तो कम से कम 50 हजार रुपए का खर्च आता है। वहीं इस ऑपरेशन का खर्च कानपुर मेडिकल कॉलेज में ज्यादा से ज्यादा 10 हजार रुपए का है। क्योंकि यहां पर सरकारी तौर पर लेंस उपलब्ध नहीं हो पाता है। इस लेंस को लगवाने के लिए मरीज को खुद ही लेंस खरीदना पड़ता है। आपको बताते चलें कि, इस सर्जरी से कानपुर के अलावा आसपास के करीब 18 जिलों के मरीजों को लाभ मिलेगा। अभी तक इस ऑपरेशन के लिए लोगों को दिल्ली या मुंबई जैसे शहरों का रुख करना पड़ता था, लेकिन अब कानपुर में ही इसका इलाज लोगों को मिल जाएगा।