सेम मुखेम टिहरी गढ़वाल का एक पवित्र और सुंदर स्थान है। यह जगह भगवान नागराजा के प्रसिद्ध मंदिर के लिए जानी जाती है। यहाँ घने जंगलों, ऊँचे देवदार के पेड़ों और ठंडी हवा मन को शांति देती है। रास्ते में बहती छोटी-छोटी नदियाँ यात्रा को और भी रोचक बना देते है। मंदिर पहुँचते ही घंटियों की आवाज़ और भक्तों की श्रद्धा देखकर मन भावुक हो गया। ऐसा लगा जैसे प्रकृति और आस्था एक साथ मिलकर इस स्थान को विशेष बना रही हों।
सेम मुखेम मंदिर उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल ज़िले में स्थित एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थान है । यह मंदिर नाग देवता, जिन्हें नाग राजा कहा जाता है, उनको समर्पित है । यह समुद्र तल से लगभग 2900 मीटर की ऊँचाई पर एक पहाड़ी की चोटी पर बना है । जहाँ से आसपास के पहाड़ों और घाटियों का बहुत सुंदर दृश्य दिखाई देता है । यह मंदिर नरेंद्र नगर से लगभग 7 किलोमीटर दूर है,मान्यता है कि महाभारत काल में पांडवों ने अपने वनवास के दौरान नाग राजा को यहीं सिंहासन पर बैठाया था, इसलिए यह जगह पौराणिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है । यहाँ का शांत और प्राकृतिक वातावरण लोगों को आध्यात्मिक शांति देता है । हर तीन साल में नवंबर के महीने यहाँ एक भव्य मेले का आयोजन किया जाता है, जिसमें दूर-दूर से भक्त आते हैं और मंदिर में पूजा-अर्चना करते हैं । इस दौरान यहाँ माता कि डोली का नृत्य होता है साथ ही आस पास के गाँव के इष्ट देवता का अद्भुत नृत्य देखने को मिलता है । यात्रा का महत्व सेम मुखेम नागराजा मंदिर इतिहास, आस्था और प्राकृतिक सुंदरता का संगम है । माना जाता है कि द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण ने कालिया नाग का उद्धार करने के बाद नागों के राजा शेषनाग को यहीं वास करने का वरदान दिया था ।

