NEWS BY: Pulse24 News
उत्तरकाशी , उत्तराखंड – सीमांत जनपद उत्तरकाशी में दीपावली के एक महीने बाद मनाई जाने वाली दीपावली जिसे स्थानीय भाषा में बग्वाल भी कहा जाता है धूम धाम से मनाई गई। तिब्बत विजय की प्रतीक इस दीपावली में हजारों की संख्या में स्थानीय लोगों के साथ पर्यटकों ने भी प्रतिभाग किया। तीन दिन तक मनाई जाने वाली इस दीपावली में पहले दिन छोटे बच्चों की दीपावली बाल बग्वाल , दूसरे दिन महिलाओं के सम्मान में बेटी बग्वाल ओर अन्तिम दिन बड़ी बग्वाल मनाईं जाती है , जिसमें हजारों की संख्या में लोगों बीर भडो के साथ हाथों में भैला नृत्य कर बड़ी भडो का आभार प्रकट करते हैं। आपको बता दें कि जनपद उत्तरकाशी एवं टिहरी में दीपावली के एक महीने बाद इस दीपावली को मनाने की प्रथा है। कहा जाता है कि1865 में जब तिब्बत ने तत्कालीन टिहरी रियासत पर आक्रमण किया था तो टिहरी के राजा ने माधो सिंह भंडारी के नेतृत्व में गर्तांग गली के रास्ते उनसे लड़ने के लिए सेना भेजी थी ओर दीपावली के एक महीने बाद तिब्बत को हराकर सेना वापस आई थी , तभी से उन बीरों के सम्मान में टिहरी नरेश ने इस दीपावली की शुरूवात की थी जो आजतक चलती आ रही है। हालांकि कुछ समय पहले तक लोग इस दीपावली को भूल गए थे पर अनघा फाऊंडेशन ने इसे पुनर्जीवित कर इसे फिर पौराणिक रूप दिया है जिसके कारण इस दीपावली को मनाने हजारों की संख्या में लोग पोरांणिक परिधानों के साथ उत्तरकाशी पहुंचते हैं।