? कुशीनगर बना अवैध पार्किंग वसूली का अड्डा
? मुख्य मंदिर से लेकर रामाभार स्तूप तक होती है अवैध पार्किंग वसूली
? बुद्धनगरी में है एकमात्र पार्किंग स्थल, लेकिन वसूली सड़क पर खड़े वाहनों से
? बुद्धमार्ग पर कहीं भी गाड़ी खड़ी करने पर देना पड़ता है अवैध पार्किंग भाड़ा
बुद्ध नगरी कुशीनगर, वह नगर जहां भगवान बुद्ध को महापरिनिर्वाण प्राप्त हुआ जो कि बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए एक ऐसा तीर्थ स्थल जिसके बिना बौद्ध परिपथ अधूरा है। जहां हर साल बड़ी तादात में देशी विदेशी सैलानी घूमने के लिए आते हैं या फिर यह भी कहा जा सकता है कि पर्यटन की दृष्टि से बुद्धनगरी कुशीनगर का एकमात्र ऐसा पर्यटन केंद्र है जिससे जनपद को पहचान मिली। शासन प्रशासन यहां आने वाले पर्यटकों को अधिक से अधिक सुविधाएं प्रदान करने का दावा करता है लेकिन जैसे ही कोई सैलानी यहां पहुंचता है तो अनायास ही अपना सिर पीट लेता है।
? क्या है मामला?
बुद्धनगरी कुशीनगर में बाहर से आने वाले सैलानियों के लिए उनके वाहनों के पार्किंग के लिए प्रशासन द्वारा पार्किंग स्थल बना दिया गया है और उत्तर प्रदेश राज्य पर्यटन विकास निगम लिमिटेड द्वारा इसके संचालन का जिम्मा मेसर्स बुद्धा वाहन पार्किंग नाम के संस्था को दिया गया है।
? धरातल पर क्या मिला ?
यूं तो कुशीनगर में उत्तर प्रदेश राज्य पर्यटन विकास निगम लिमिटेड द्वारा अधिकृत वाहन पार्किंग स्थल सिर्फ एक ही है, जो कुशीनगर व्याख्यान शाला के नजदीक बना है लेकिन पार्किंग ठेकेदार की मनमानी कहें या फिर दबंगई, कि वाहनों से पार्किंग भाड़ा, पार्किंग स्थल से एकतरफ लगभग एक किलोमीटर दूर स्थित रामाभार स्तूप तक और दूसरी तरफ लगभग आधे किलोमीटर की दूरी पर स्थित चाइना मंदिर तक वसूला जाता है।
या ऐसा भी कहा जा सकता है कि पूरा बुद्ध मार्ग ही इस ठेकेदार की पार्किंग ठेके की जद में आ जाता है।
? शासन का निर्देश
हद दर्जे की दबंगई तो यह है कि कुशीनगर प्रशासन द्वारा मुख्य मंदिर के सामने सड़क के दोनो तरफ वाहनों को खड़ा करना निषिद्ध किया गया है, और इसके लिए शमन शुल्क भी जो कि पांच सौ रुपए निर्धारित है लेकिन निषिद्ध क्षेत्र में वाहन खड़ा करने पर भी ठेकेदार के गुर्गों द्वारा पार्किंग भाड़ा वाहन स्वामियों से वसूला जाता है।
? अधिकारियों और कर्मचारियों का क्या कहना है ?
जब इस मामले में उत्तर प्रदेश राज्य पर्यटन विकास निगम लिमिटेड के कर्मचारी श्री प्राण रंजन से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि निगम द्वारा निर्धारित पार्किंग स्थल सिर्फ एक है और इसके अतिरिक्त यदि बुद्ध मार्ग पर किसी भी जगह पार्किंग शुल्क की वसूली होती है तो यह पूर्णतया अवैध है।
अब विचार योग्य तथ्य यह है कि अगर कोई पर्यटक या सैलानी जनपद के प्रमुख पर्यटन केंद्रों को घूमने आता है और वहां पर उससे इस कदर लूटखोरी या डकैती की जाती है तो क्या इससे पर्यटन उद्योग प्रभावित होगा या नहीं !