मुख्यमंत्री का आदेश है कि बाल दिवस पर बाल श्रम करायें – शिक्षिका

मुख्यमंत्री का आदेश है कि बाल दिवस पर बाल श्रम करायें – शिक्षिका

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उत्तरप्रदेश- आपको यह तो पता ही होगा कि बाल दिवस 14 नवंबर को मनाया जाता है और बाल दिवस का मुख्य उद्देश्य बच्चों के महत्व को जग जाहिर करना है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि बच्चे देश का भविष्य हैं। साथ ही उनके अधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ाने का भी एक अवसर हैं जैसे बच्चों के शिक्षा का अधिकार, स्वस्थ रहने का अधिकार और सुरक्षित वातावरण में रहने का अधिकार। अब सूची उन्हें अधिकारों का यदि हनन होने लगे तो आपको सुनने मे कैसा लगेगा और साथ मे आपको यह भी पता होगा कि 14 नवंबर बाल दिवस पर देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू से जुड़ा हुआ है।

नेहरू जी को बच्चों से खास लगाव था इसी प्रेम और बच्चों के प्रति समर्पण के कारण उनकी जयंती को बाल दिवस के रूप में मनाते हैं उन्हें प्यारे बच्चों से बाल दिवस के दिन अगर बाल मजदूरी कराई जाए तो तस्वीर कितनी भयावर होगी यह तस्वीर अगर चाचा नेहरू देखते तो शायद शर्म से मर ही जाते लेकिन इन अध्यापकों ने शर्म लाज सब बेच खाई है।

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कुछ ऐसा ही मामला जनपद गोंडा के कन्या पूर्व माध्यमिक विद्यालय बिशनपुर बैरिया शिक्षा क्षेत्र पंडरी कृपाल से सामने आया जहाँ पर बच्चे वीडियो में विद्यालय में ईटा ढ़ोते दिख रहे हैं जब इस मामले पर किसी ने पूछा कि आप ऐसा क्यों करा रही हैं तो विद्यालय की अध्यापिका सरिता सिंह का जवाब आया कि मुख्यमंत्री का आदेश है कि बाल श्रम करा करके विद्यालय का सुंदरीकरण किया जाए फिलहाल मामला सामने आने के बाद देखना होगा ऐसे हिटलर शाही अंदाज वाले अध्यापकों के ऊपर गाज कब गिरेगी ऐसे अध्यापक सरकार से मोटी पगार लेने के एवरेज में बच्चों को क्या सिखाते हैं शिक्षा या मजदूरी अब यहां बड़ा सवाल है शिक्षा विभाग की कार्यशैली पर और ऐसे कई सवालों के घेरे मे खड़ा करते है।


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