News By:Pulse24 News Desk
महाराष्ट्र राज्य परिवहन निगम (MSRTC) की बसें 3 सितंबर की रात 12:00 बजे से पूरी तरह बंद हो गई हैं। यह बंद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे द्वारा कर्मचारियों की प्रलंबित मांगों पर कोई ठोस आश्वासन न मिलने के कारण हुआ है। महामंडल बस की कृति समिति ने अनिश्चितकालीन हड़ताल का ऐलान करते हुए स्पष्ट किया है कि जब तक उनकी सभी मांगे पूरी नहीं होतीं, तब तक वे काम पर नहीं लौटेंगे। इस हड़ताल के चलते राज्य भर में यात्री सेवाओं पर गंभीर असर पड़ा है, और हजारों यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
सातवां वेतन आयोग लागू करने की मांग
महामंडल बस कर्मचारियों की प्रमुख मांगों में सातवां वेतन आयोग लागू करने की मांग सबसे महत्वपूर्ण है। कर्मचारियों का कहना है कि लंबे समय से वे इस मांग को लेकर संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन सरकार की ओर से अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। इसके अलावा, कर्मचारियों की अन्य मांगों में नौकरी की सुरक्षा, वेतन विसंगतियों का निवारण, काम के बेहतर हालात और अन्य भत्तों का भुगतान शामिल है। कर्मचारी संघ का कहना है कि जब तक उनकी ये मांगें पूरी नहीं होतीं, वे बस सेवाएं बहाल नहीं करेंगे। समिति के प्रवक्ता ने कहा, “हमारे पास हड़ताल के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है। हमारी समस्याओं को नजरअंदाज किया जा रहा है, और अब हमें मजबूरन यह कदम उठाना पड़ा है।”
अकोला में भी बस सेवाएं ठप
महाराष्ट्र के अकोला जिले में भी लाल परी (राज्य परिवहन की बसें) के चक्के थम गए हैं। इस हड़ताल का प्रभाव अकोला समेत पूरे राज्य में दिखाई दे रहा है। सरकारी बसें न चलने के कारण यात्रियों को निजी वाहनों का सहारा लेना पड़ रहा है, जिससे यात्रा की लागत में वृद्धि हो गई है। खासकर, ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों में रहने वाले लोग, जिनके पास परिवहन के अन्य साधन उपलब्ध नहीं हैं, उन्हें अधिक दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
यात्रियों की परेशानी
इस हड़ताल के कारण बस स्टैंडों पर यात्रियों की भारी भीड़ देखी जा रही है। कई यात्रियों को अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए घंटों इंतजार करना पड़ रहा है। कुछ यात्री मजबूरन अन्य साधनों का उपयोग कर रहे हैं, लेकिन वे भी महंगे साबित हो रहे हैं। मुंबई से पुणे जाने के लिए बस का इंतजार कर रहे एक यात्री ने कहा, “मुझे एक जरूरी काम के लिए पुणे जाना था, लेकिन बस सेवा बंद होने के कारण मुझे टैक्सी बुक करनी पड़ी, जिसका किराया बस के मुकाबले बहुत ज्यादा है।”
सरकारी प्रतिक्रिया
महाराष्ट्र सरकार इस हड़ताल को गंभीरता से ले रही है। मुख्यमंत्री कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और अन्य वरिष्ठ अधिकारी जल्द ही कृति समिति के प्रतिनिधियों से मुलाकात करेंगे। सरकारी सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री की ओर से कर्मचारियों की मांगों पर विचार किया जा रहा है और जल्द ही इस मामले को सुलझाने के लिए कदम उठाए जाएंगे। हालांकि, अभी तक कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया है, जिससे हड़ताल कब तक चलेगी, इसका अनुमान लगाना मुश्किल हो रहा है। सरकार और कर्मचारी संघ के बीच बातचीत का दौर शुरू होने की उम्मीद है, लेकिन इसका परिणाम क्या होगा, यह देखने वाली बात होगी।
महाराष्ट्र राज्य परिवहन निगम की इस हड़ताल ने न केवल कर्मचारियों की परेशानियों को उजागर किया है, बल्कि राज्य के परिवहन तंत्र की कमजोरियों को भी सामने लाया है। हड़ताल के कारण लाखों यात्रियों को असुविधा का सामना करना पड़ रहा है, और अगर जल्द ही इस समस्या का समाधान नहीं निकाला गया, तो स्थिति और गंभीर हो सकती है। अब यह सरकार पर निर्भर करता है कि वह कर्मचारियों की मांगों को कैसे सुलझाती है और हड़ताल को समाप्त करने के लिए क्या कदम उठाती है। वहीं, दूसरी ओर कर्मचारी संघ भी अपने अधिकारों और मांगों के लिए संघर्षरत है, और देखना होगा कि यह संघर्ष किस दिशा में आगे बढ़ता है।