News By:Pulse24 News Desk
हापुड़: भारतीय किसान यूनियन टिकैत के बैनर तले किसानों ने हापुड़ जिले में डीएम ऑफिस का घेराव किया और अपनी मांगों को लेकर ज्ञापन सौंपा। इस घेराव का नेतृत्व संगठन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष कुशलपाल आर्य ने किया। किसानों की मांगों को लेकर सरकार से जल्द से जल्द निस्तारण की अपील की गई है। कुशलपाल आर्य ने चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगें पूरी नहीं की जाती हैं, तो वे अनिश्चितकालीन धरने पर बैठने से पीछे नहीं हटेंगे, चाहे इसके लिए उन्हें सरकार की सख्त कार्रवाई का सामना ही क्यों न करना पड़े।
कुशलपाल आर्य का बयान और मुख्य मांगें:
कुशलपाल आर्य ने किसानों की समस्याओं को उठाते हुए कहा, “हमारी मांगें पूरी होने तक हम यहां से नहीं हटेंगे। किसानों की समस्याओं को लेकर सरकार को जल्द से जल्द निर्णय लेना चाहिए। यदि सरकार हमारी बात नहीं सुनती है, तो हम यहां डटे रहेंगे, चाहे इसके लिए हमें हटाने के लिए प्रशासन को किसी भी तरह की कार्रवाई क्यों न करनी पड़े।”
आर्य ने विशेष रूप से किसान आयोग के गठन की मांग की, ताकि किसानों के हितों की रक्षा की जा सके और उनके मुद्दों का प्रभावी समाधान किया जा सके। उन्होंने कहा, “भारत सरकार द्वारा किसान आयोग का गठन किया जाना चाहिए, ताकि किसानों की समस्याओं का हल हो सके और उन्हें न्याय मिल सके।”
गन्ना भुगतान और आर्थिक संकट:
आर्य ने किसानों की प्रमुख समस्या गन्ने के भुगतान पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि हापुड़ जिले की सिम्भावली मिल, बृजनाथपुर समेत अन्य चीनी मिलों द्वारा सत्र 2023-24 का किसानों का गन्ना भुगतान समय पर नहीं किया जा रहा है। “कई किसान भाई, जो पूरी तरह से कृषि पर निर्भर हैं, उन्हें इस देरी के कारण भारी आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है,” आर्य ने कहा। किसानों ने इस मांग को प्रमुखता से उठाया कि गन्ने का भुगतान समय पर सुनिश्चित किया जाए, ताकि किसानों को इस कठिन परिस्थिति से बाहर निकाला जा सके। उन्होंने आगे कहा कि गन्ने के मूल्य को मौजूदा महंगाई को ध्यान में रखते हुए बढ़ाया जाना चाहिए। किसानों ने 500 रुपये प्रति कुंटल का भाव सुनिश्चित करने की मांग की है। वर्तमान में, गन्ने के मूल्य में जो गिरावट देखी जा रही है, वह किसानों के लिए अस्वीकार्य है, और इसे तत्काल बढ़ाने की आवश्यकता है ताकि किसानों को उनकी मेहनत का उचित मूल्य मिल सके।
बिजली दरों में सुधार की मांग:
किसानों ने बिजली दरों में भी सुधार की मांग की है। आर्य ने पड़ोसी राज्यों दिल्ली और हरियाणा का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां की बिजली दरें किसानों के लिए अधिक अनुकूल हैं। उन्होंने कहा, “हम चाहते हैं कि उत्तर प्रदेश में भी बिजली दरें दिल्ली और हरियाणा की तर्ज पर परिवर्तित की जाएं, ताकि किसानों को कुछ राहत मिल सके।”
चीनी मिलों में सुविधाओं की कमी:
आर्य ने यह भी कहा कि चीनी मिलों में काम करने वाले किसानों के लिए रात्रि में ठंड से बचने के उचित इंतजाम नहीं किए गए हैं। “किसानों के लिए चीनी मिलों में ठंड से बचने के लिए विकलप सुनिश्चित किया जाए,” उन्होंने मांग की। यह समस्या विशेष रूप से उन किसानों के लिए गंभीर हो जाती है जो रात्रि के समय भी मिलों में अपने गन्ने की पेराई के लिए लंबी कतारों में खड़े रहते हैं।
गन्ने के भुगतान में देरी:
गन्ने के भुगतान में हो रही देरी को लेकर भी आर्य ने प्रशासन को आड़े हाथों लिया। उन्होंने मांग की कि गन्ने का भुगतान आपूर्ति की तारीख से पंद्रह दिनों के भीतर किया जाना चाहिए। “किसानों को लंबे समय तक भुगतान का इंतजार नहीं करना चाहिए। यह उनके आर्थिक संकट को और गहरा करता है,” आर्य ने कहा। उन्होंने प्रशासन से इस मुद्दे को गंभीरता से लेने और किसानों को उनका हक दिलाने की मांग की।
निष्कर्ष:
भारतीय किसान यूनियन डकैत के इस घेराव ने हापुड़ जिले में किसानों की समस्याओं को प्रमुखता से उठाया है। किसानों की मांगें स्पष्ट और जायज हैं, और सरकार को इन पर जल्द से जल्द कार्रवाई करनी चाहिए। कुशलपाल आर्य और उनके सहयोगियों की इस लड़ाई में किसानों की स्थिति को सुधारने की एक स्पष्ट और दृढ़ मांग दिखाई देती है। यदि सरकार ने इन मांगों को नजरअंदाज किया, तो इससे किसानों का आक्रोश और बढ़ेगा, और उन्हें और भी सख्त कदम उठाने पर मजबूर होना पड़ेगा। यह समय है कि सरकार किसानों की आवाज सुने और उन्हें उनका हक दिलाने के लिए आवश्यक कदम उठाए।