News By:Pulse24 News Desk
कर्नाटक की राजनीति एक बार फिर गर्मा गई है, जहां मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने भाजपा और जेडीएस पर तीखा हमला बोला है। मुद्दा “मुदा घोटाले” का है, जिसमें मुख्यमंत्री सिद्धारमैया का नाम उछाला गया है। परंतु उन्होंने इसे सिरे से खारिज करते हुए भाजपा पर सरकार अस्थिर करने का आरोप लगाया है।
इस्तीफे की मांग पर सियासी बवाल
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया से जब सवाल किया गया कि क्या वह “मुदा घोटाले” के चलते इस्तीफा देंगे, तो उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि उन्हें इस्तीफा देने की कोई आवश्यकता नहीं है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा, “अगर ऐसा है, तो विजयेंद्र को इस्तीफा दे देना चाहिए।” यह बयान उन्होंने विजयेंद्र के संदर्भ में दिया, जो कि भाजपा के नेता हैं और जो इस मुद्दे को लेकर सिद्धारमैया पर हमला कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने इसे राजनीतिक षड्यंत्र करार दिया और कहा कि भाजपा और जेडीएस उनके खिलाफ झूठे आरोप लगाकर उनकी सरकार को अस्थिर करने की कोशिश कर रहे हैं। उनका यह भी कहना था कि भाजपा कभी अपने दम पर सत्ता में नहीं आई है, और जब भी सत्ता में आई, तो वह “ऑपरेशन कमल” के माध्यम से आई।
“ऑपरेशन कमल” पर गंभीर आरोप
सिद्धारमैया ने भाजपा पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि “ऑपरेशन कमल” के जरिए भाजपा ने विधायकों को खरीदने का प्रयास किया। उन्होंने कहा कि भाजपा कभी भी पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में नहीं आई और हमेशा पिछले दरवाजे से सत्ता में आने की कोशिश की है। उन्होंने कहा कि इससे पहले भी रवि गनीगा ने खुलासा किया था कि विधायकों को 100 करोड़ रुपये का ऑफर दिया गया था। सिद्धारमैया ने इस बात को संभव बताया और आरोप लगाया कि भाजपा ने उनकी सरकार को अस्थिर करने का प्रयास किया है।
कुमारस्वामी और अन्य नेताओं के खिलाफ कार्रवाई की मांग
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने जेडीएस नेता एच.डी. कुमारस्वामी और भाजपा नेता निरानी, जनार्दन रेड्डी के खिलाफ मुकदमा चलाने की मांग की। उन्होंने कहा कि कुमारस्वामी के खिलाफ जांच चल रही है और उनके खिलाफ आरोप पत्र भी दाखिल किया गया है, परंतु अभियोजन पक्ष ने अनुमति नहीं दी है। सिद्धारमैया ने कहा कि उनके विधायक, सांसद और एमएलसी राज्यपाल से मिलकर इस मामले में हस्तक्षेप की मांग करेंगे और जोर देंगे कि इन नेताओं के खिलाफ मुकदमा चलाया जाए।
मुद्दा “मुदा घोटाला” का
“मुदा घोटाला” एक ऐसा मामला है जिसे भाजपा ने प्रमुख मुद्दा बनाकर मुख्यमंत्री सिद्धारमैया पर आरोप लगाए हैं। हालांकि, सिद्धारमैया ने इस मामले में किसी भी तरह की संलिप्तता से इंकार किया है। उन्होंने कहा कि उन्होंने इस घोटाले में कुछ भी गलत नहीं किया है और भाजपा केवल इस मामले को उछालकर उनकी सरकार को अस्थिर करने की कोशिश कर रही है।
सिद्धारमैया ने यह भी कहा कि इस मामले की सुनवाई जल्द ही होने वाली है और वह इस प्रक्रिया का सम्मान करते हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि उन्होंने राष्ट्रपति से मिलने का कोई इरादा नहीं है और फिलहाल इस पर विचार नहीं किया है।
जेल में शाही आतिथ्य पर प्रतिक्रिया
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने जेल में शाही आतिथ्य के मुद्दे पर भी प्रतिक्रिया दी। यह मामला तब उठा जब खबर आई कि दर्शन नामक एक कैदी को जेल में शाही सुविधाएं दी जा रही थीं। सिद्धारमैया ने कहा कि जब यह मामला सामने आया, तो उन्होंने तुरंत कार्रवाई करते हुए 9 अधिकारियों को निलंबित कर दिया। उन्होंने बताया कि इनमें से कुछ अधिकारियों को दूसरी जेल में स्थानांतरित कर दिया गया है और जेल के डीजी को भी नोटिस जारी किया गया है।
निष्कर्ष
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया का बयान यह स्पष्ट करता है कि वह भाजपा और जेडीएस के खिलाफ अपने रुख पर अडिग हैं। उन्होंने भाजपा पर सरकार अस्थिर करने की कोशिश का आरोप लगाते हुए अपने इस्तीफे की मांग को खारिज कर दिया। उन्होंने इसे एक राजनीतिक षड्यंत्र करार देते हुए कहा कि यह सिर्फ उन्हें बदनाम करने की कोशिश है।
वहीं, भाजपा और जेडीएस की ओर से भी इस मामले को लेकर कड़ी प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। आने वाले दिनों में “मुदा घोटाला” और उससे जुड़े मामलों में और भी राजनीतिक उठापटक हो सकती है, जो कर्नाटक की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
इस सब के बीच, मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने साफ कर दिया है कि वह भाजपा के दबाव में आकर इस्तीफा नहीं देंगे, बल्कि विजयेंद्र को इस्तीफा देने की सलाह देकर उन्होंने यह दिखा दिया है कि वह अपने विरोधियों के खिलाफ भी आक्रामक रुख अपनाने को तैयार हैं।
यह देखना दिलचस्प होगा कि “मुदा घोटाला” और भाजपा के आरोपों के बीच कर्नाटक की राजनीति किस दिशा में जाती है। लेकिन यह तय है कि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने अपने ताज को बचाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है।