News By:Pulse24 News Desk
जम्मू-कश्मीर भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने रामबन जिले के सनासर इलाके में 40,000 रुपये की रिश्वत मांगने और स्वीकार करने के आरोप में एक राजस्व अधिकारी को गिरफ्तार किया है। इस घटना ने एक बार फिर से सरकारी तंत्र में भ्रष्टाचार की गहरी पैठ को उजागर किया है। आरोपी राजस्व अधिकारी फारूक अहमद गिरद्वार को एसीबी ने रंगे हाथों पकड़ा, जब वह शिकायतकर्ता से रिश्वत की राशि स्वीकार कर रहा था।
घटना की पृष्ठभूमि
घटना की शुरुआत तब हुई जब शिकायतकर्ता ने एसीबी को एक लिखित शिकायत दी। शिकायत में आरोप लगाया गया था कि फारूक अहमद गिरद्वार, जो सनासर में बतौर राजस्व अधिकारी (गिरद्वार) कार्यरत है, एक फर्द (मुल्कियत का दस्तावेज) मामले को संसाधित करने के लिए 60,000 रुपये की रिश्वत की मांग कर रहा था। शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि जब उन्होंने इस मांग का विरोध किया, तो बातचीत के बाद यह राशि घटाकर 40,000 रुपये कर दी गई। शिकायतकर्ता ने रिश्वत देने से इनकार कर दिया और इसके बजाय आरोपी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का निर्णय लिया। उन्होंने इस संदर्भ में एसीबी से संपर्क किया और पूरी जानकारी दी।
एसीबी की कार्रवाई
शिकायत मिलने के बाद, एसीबी ने मामले की जांच के लिए एक गुप्त सत्यापन किया। इस सत्यापन में पाया गया कि फारूक अहमद द्वारा रिश्वत की मांग की जा रही थी। एसीबी ने अपनी जांच की पुष्टि के बाद, आरोपी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का निर्णय लिया। इस प्रक्रिया के तहत, एसीबी ने पुलिस स्टेशन एसीबी डोडा में मामला दर्ज किया। मामला एफआईआर नंबर 02/2024 यू/एस 7 पीसी एक्ट 1988 के तहत दर्ज किया गया।
रिश्वत स्वीकार करने के दौरान गिरफ्तारी
एसीबी की टीम ने एक ट्रैप (जाल) योजना तैयार की, जिसमें शिकायतकर्ता को आरोपी अधिकारी को 40,000 रुपये की रिश्वत देने के लिए निर्देशित किया गया। इस योजना के तहत, शिकायतकर्ता से रिश्वत की राशि स्वीकार करते समय फारूक अहमद को रंगे हाथों पकड़ा गया। एसीबी की टीम ने मौके पर ही उसे गिरफ्तार कर लिया। ट्रैप टीम में शामिल स्वतंत्र गवाहों की उपस्थिति में आरोपी के कब्जे से रिश्वत की पूरी राशि भी बरामद कर ली गई। एसीबी ने कहा कि इस मामले की आगे की जांच जारी है और अन्य संभावित भ्रष्टाचारियों को भी इस मामले में जांच के दायरे में लाया जाएगा।
भ्रष्टाचार के खिलाफ एसीबी की कड़ी कार्रवाई
इस घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) अपने कार्यक्षेत्र में सक्रियता से कार्य कर रहा है। एसीबी की इस कार्रवाई ने यह संकेत दिया है कि सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति पर चल रही है। भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों में एसीबी की यह त्वरित कार्रवाई एक नजीर के रूप में सामने आई है, जो सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों को यह संदेश देती है कि भ्रष्टाचार के मामलों में उन्हें किसी भी तरह की छूट नहीं दी जाएगी। एसीबी ने यह भी स्पष्ट किया कि वह भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी लड़ाई को और भी मजबूत करेगी और दोषियों को सजा दिलाने के लिए हर संभव प्रयास करेगी।
शिकायतकर्ता की सराहनीय भूमिका
इस पूरी घटना में शिकायतकर्ता की भूमिका सराहनीय रही है। उन्होंने न केवल भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी आवाज उठाई, बल्कि इसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का भी साहसिक निर्णय लिया। ऐसे समय में, जब भ्रष्टाचार के मामलों में लोग अक्सर शिकायत करने से हिचकिचाते हैं, यह घटना एक प्रेरणा के रूप में सामने आई है। शिकायतकर्ता की इस हिम्मत और ईमानदारी ने एसीबी को कार्रवाई करने के लिए प्रेरित किया और अंततः एक भ्रष्ट अधिकारी को कानून के शिकंजे में ला खड़ा किया।
रामबन जिले में 40,000 रुपये की रिश्वत मांगने और स्वीकार करने के आरोप में एक राजस्व अधिकारी की गिरफ्तारी ने एक बार फिर से भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जरूरत को रेखांकित किया है। एसीबी की इस कार्रवाई ने न केवल भ्रष्टाचारियों को चेतावनी दी है, बल्कि आम नागरिकों को भी यह संदेश दिया है कि वे भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करें और किसी भी तरह की गैर-कानूनी गतिविधि की सूचना संबंधित अधिकारियों को दें।यह घटना भ्रष्टाचार के खिलाफ जारी लड़ाई में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है और उम्मीद की जाती है कि भविष्य में भी ऐसी कार्रवाइयां जारी रहेंगी। एसीबी की इस त्वरित और निर्णायक कार्रवाई से निश्चित रूप से सरकारी तंत्र में ईमानदारी और पारदर्शिता को बढ़ावा मिलेगा।