News By:Pulse24 News Desk
कानपुर: कानपुर के उर्सला अस्पताल में सरकारी इलाज के नाम पर हो रही कथित धांधली और रिश्वतखोरी की शिकायतें अब गंभीर रूप ले चुकी हैं। अस्पताल के डॉक्टर, स्टाफ नर्स और अन्य कर्मचारियों पर आरोप है कि वे मरीजों को आयुष्मान कार्ड होने के बावजूद इलाज के लिए मोटी रकम की मांग कर रहे हैं। भारतीय दलित पैंथर संगठन ने इस मामले में गंभीर शिकायतें दर्ज कराते हुए मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री को ज्ञापन सौंपा है।
शिकायत का मुख्य मामला
भारतीय दलित पैंथर संगठन के तत्वावधान में और धनीराम पैंथर की अध्यक्षता में 5 सितंबर को मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री को संबोधित ज्ञापन उर्सला अस्पताल के अधीक्षक को सौंपा गया। ज्ञापन में आरोप लगाया गया है कि अस्पताल में मरीजों से इलाज के नाम पर अवैध वसूली की जा रही है। उदाहरण के तौर पर, राजू मैकरावर्टगंज निवासी एक मरीज ने अपनी शिकायत में बताया कि उसका पैर का ऑपरेशन डॉक्टर आशीष मिश्रा द्वारा किया जाना था। हालांकि, उसके पास आयुष्मान कार्ड होने के बावजूद डॉक्टर ने 15,000 रुपए की मांग की। पैसे की कमी की वजह से ऑपरेशन नहीं किया गया और मरीज को प्लास्टर चढ़ाकर वापस भेज दिया गया।
अन्य मरीजों के साथ समान स्थिति
शिकायतकर्ताओं का कहना है कि यही स्थिति अन्य मरीजों के साथ भी लगातार हो रही है। आयुष्मान कार्ड धारक होने के बावजूद मरीजों से ऑपरेशन, सर्जरी, दवा और आईसीयू के नाम पर मोटी रकम वसूली जा रही है। उर्सला अस्पताल में यह कमीशनखोरी और रिश्वतखोरी लंबे समय से चल रही है, जिसके चलते गरीब मरीजों को उचित इलाज नहीं मिल पा रहा है।
संगठन की प्रतिक्रिया
मीडिया से बातचीत में धनीराम पैंथर ने कहा कि गरीबों पर अत्याचार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि इस ज्ञापन के माध्यम से दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई नहीं की गई, तो उनका संगठन बड़े चौराहे पर सरकारी डॉक्टरों के खिलाफ प्रदर्शन करेगा और उन्हें भीख मांगने के लिए मजबूर करेगा। धनीराम पैंथर ने यह भी कहा कि सरकार को तत्काल कदम उठाकर इस धांधली को समाप्त करना चाहिए और सुनिश्चित करना चाहिए कि सरकारी अस्पतालों में गरीबों को उचित और निःशुल्क इलाज मिले।
संबंधित अधिकारियों की प्रतिक्रिया
अधिकारियों ने इस मामले को गंभीरता से लेने का आश्वासन दिया है और जल्द ही जांच करके उचित कार्रवाई करने की बात कही है। उर्सला अस्पताल में हुए इस गंभीर आरोप के बाद स्वास्थ्य विभाग में हलचल मच गई है और मामले की जांच के लिए एक विशेष टीम गठित की गई है।
इस मामले ने कानपुर में सरकारी अस्पतालों में इलाज की गुणवत्ता और पारदर्शिता को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं। उम्मीद की जा रही है कि इस शिकायत के बाद उचित कार्रवाई की जाएगी और भविष्य में इस तरह की धांधली की पुनरावृत्ति को रोका जा सकेगा।