News By:Pulse24 News Desk
हरियाणा भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में आंतरिक असंतोष की लहरें तेज हो रही हैं। पार्टी द्वारा 67 उम्मीदवारों की सूची जारी किए जाने के बाद बगावती स्वर थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। जहां कुछ नेता खुलकर पार्टी के फैसलों पर सवाल उठा रहे हैं, वहीं कुछ ने अपने पदों से इस्तीफा देकर पार्टी नेतृत्व के खिलाफ नाराजगी जाहिर की है। इसी क्रम में यमुनानगर जिले से भाजपा प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य देवेंद्र चावला ने पार्टी के सभी पदों और पार्टी से इस्तीफा देने की घोषणा कर दी है।
इस्तीफे की वजहें:
देवेंद्र चावला ने अपने इस्तीफे के पीछे पार्टी नेतृत्व के निर्णयों से असहमति को प्रमुख कारण बताया है। उन्होंने कहा कि पार्टी ने उन्हें जो भी जिम्मेदारी दी थी, उसे उन्होंने पूरी निष्ठा और मेहनत से निभाया। खासकर लोकसभा चुनाव के दौरान रादौर में उन्हें बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई थी, जिसे उन्होंने सफलतापूर्वक पूरा किया। चावला ने रादौर से बीजेपी सांसद को बढ़त दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। चावला का कहना है कि पिछले 30 वर्षों से पार्टी एक ही व्यक्ति, घनश्याम अरोड़ा, को टिकट दे रही है। इस बार भी पार्टी ने उन्हें ही टिकट दिया है, जिससे वर्करों में भारी नाराजगी है। चावला ने कहा कि वर्करों में घनश्याम अरोड़ा के प्रति नाराजगी इतनी बढ़ गई है कि वे अब खुलकर उनका विरोध कर रहे हैं। इस स्थिति में, वर्करों के दबाव और उनके लगातार आ रहे फोन कॉल्स के चलते उन्हें पार्टी छोड़ने का कड़ा निर्णय लेना पड़ा।
पार्टी के प्रति नाराजगी:
देवेंद्र चावला का यह कदम पार्टी के भीतर गहराते असंतोष का स्पष्ट संकेत है। उन्होंने साफ किया कि उनके इस्तीफे का कारण पार्टी द्वारा घनश्याम अरोड़ा को टिकट देना है, जो कि वर्करों में निराशा का कारण बना हुआ है। चावला का कहना है कि उन्होंने पार्टी के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को हमेशा पूरी ईमानदारी से निभाया, लेकिन पार्टी नेतृत्व ने वर्करों की भावनाओं को नजरअंदाज कर एक ही व्यक्ति को बार-बार टिकट देने का निर्णय लिया। इससे वर्करों में असंतोष बढ़ता गया, और अंततः उन्हें पार्टी छोड़ने का निर्णय लेना पड़ा।
भविष्य की योजनाएं:
देवेंद्र चावला ने स्पष्ट किया कि फिलहाल उनका कांग्रेस या किसी अन्य राजनीतिक दल में शामिल होने का कोई इरादा नहीं है। उन्होंने कहा कि वे एक आम आदमी के तौर पर जनता की सेवा करते रहेंगे। चावला ने कहा कि वे राजनीति से हटकर भी समाज सेवा कर सकते हैं और उन्होंने यही मार्ग अपनाने का निर्णय लिया है। उन्होंने यह भी कहा कि अगर भविष्य में किसी राजनीतिक दल में शामिल होने की आवश्यकता महसूस होगी, तो वह उस समय के हालातों को देखकर निर्णय लेंगे।
भाजपा के लिए चुनौतियां:
देवेंद्र चावला का इस्तीफा हरियाणा भाजपा के लिए एक गंभीर चुनौती के रूप में देखा जा रहा है। पार्टी में बढ़ती बगावत और नेताओं की नाराजगी से यह साफ है कि आगामी चुनावों में पार्टी को आंतरिक असंतोष का सामना करना पड़ सकता है। खासकर उन क्षेत्रों में जहां पार्टी ने लगातार एक ही चेहरे को टिकट दिया है, वहां वर्करों की नाराजगी का असर चुनाव परिणामों पर पड़ सकता है। चावला का इस्तीफा भाजपा के लिए यह संकेत भी है कि अगर पार्टी नेतृत्व ने समय रहते वर्करों की समस्याओं और उनकी नाराजगी का समाधान नहीं किया, तो इससे पार्टी को भारी नुकसान हो सकता है। आगामी चुनावों में यह आंतरिक असंतोष पार्टी के लिए बड़ी चुनौती बन सकता है।
देवेंद्र चावला का इस्तीफा हरियाणा भाजपा के लिए एक महत्वपूर्ण घटना है, जो पार्टी के भीतर गहराते असंतोष और वर्करों की नाराजगी का प्रतीक है। यह देखना दिलचस्प होगा कि पार्टी नेतृत्व इस असंतोष को कैसे संभालता है और आगामी चुनावों में इसे किस तरह से प्रभावित करता है। चावला के इस्तीफे से हरियाणा भाजपा के लिए आगामी समय चुनौतियों से भरा हो सकता है, जो उनके राजनीतिक भविष्य पर भी असर डाल सकता है।