उमर अब्दुल्ला का आरोप: केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को नियंत्रित करने में विफल

उमर अब्दुल्ला का आरोप: केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को नियंत्रित करने में विफल

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जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने रविवार को एक महासभा को संबोधित करते हुए केंद्र सरकार पर जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को नियंत्रित करने में विफल रहने का आरोप लगाया। उनका यह बयान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के हालिया बयान के जवाब में आया है, जिसमें शाह ने कहा था कि अगर नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी)-कांग्रेस गठबंधन सत्ता में आया तो आतंकवाद की समस्या फिर से उभरेगी।

अब्दुल्ला का तर्क और आलोचना
उमर अब्दुल्ला ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को नियंत्रित करने में असफल रही है। उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उनके बयान का उद्देश्य केवल राजनीतिक लाभ उठाना है और वास्तविक स्थिति को छिपाना है।

“मैं यह सुझाव दूंगा कि गृह मंत्री शाह मेरे छह वर्षों के मुख्यमंत्री पद के दौरान के उग्रवाद ग्राफ की जांच करें,” उमर अब्दुल्ला ने कहा। “उन वर्षों में, ग्राफ में लगातार गिरावट आई थी। इसके विपरीत, वर्तमान सरकार के तहत उग्रवाद का ग्राफ हर साल बढ़ रहा है।”

जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद की स्थिति
उमर अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर के विभिन्न जिलों का उल्लेख किया और कहा कि वर्तमान सरकार के कार्यकाल में आतंकवाद का प्रभाव बढ़ गया है। “आप कठुआ, पुंछ, राजौरी, जम्मू, सांबा, उधमपुर, रियासी, और डोडा जिलों का नाम ले सकते हैं। हर जगह उग्रवाद का प्रभाव बढ़ता जा रहा है,” उन्होंने कहा।

पूर्व मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि एनसी-कांग्रेस गठबंधन के सत्ता में आने पर, उनकी सरकार को आतंकवाद से निपटने के लिए कठोर कदम उठाने होंगे। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि अगर उनकी पार्टी सत्ता में आती है, तो आतंकवाद की समस्या से निपटने के लिए वे पूर्णतः प्रतिबद्ध हैं और इसके लिए ठोस योजनाएं तैयार की जाएंगी।

सार्वजनिक सुरक्षा और राजनीतिक स्थिति
उमर अब्दुल्ला की टिप्पणी जम्मू-कश्मीर में बढ़ती सुरक्षा चिंताओं और राजनीतिक तनाव के बीच आई है। केंद्र सरकार और स्थानीय नेताओं के बीच लगातार आरोप-प्रत्यारोप इस क्षेत्र में अस्थिरता को और बढ़ाते हैं। यह स्थिति स्थानीय जनता के लिए भी चिंता का विषय बनी हुई है, जो शांति और सुरक्षा की उम्मीद कर रही है।

उमर अब्दुल्ला के बयान ने राजनीतिक बहस को और तीव्र कर दिया है, और यह सवाल उठाया है कि जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद की समस्या को प्रभावी ढंग से नियंत्रित करने के लिए कौन सी सरकार सही कदम उठा रही है।


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