News By:Pulse24 News Desk
जम्मू और कश्मीर भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने जम्मू के असरवान, मिश्रीवाला और भलवाल क्षेत्रों में लगभग 310 कनाल कस्टोडियन भूमि के अवैध अधिग्रहण से जुड़े एक बड़े भूमि घोटाले का खुलासा किया है। इस घोटाले में भू-माफिया और राजस्व, कस्टोडियन, और पुलिस विभागों के अधिकारियों के बीच मिलीभगत की व्यापक योजना का पता चला है।
घोटाले की जांच और खुलासा:
एसीबी के एक बयान के अनुसार, इस घोटाले में शामिल अधिकारियों ने भू-माफिया के साथ मिलकर राजस्व रिकॉर्ड में हेराफेरी की और अवैध रूप से भूमि बेचने का कार्य किया। इसमें प्रमुख रूप से फॉर्म 3-ए (फॉर्म अल्फ) और पावर ऑफ अटॉर्नी दस्तावेजों का दुरुपयोग शामिल था। ये दस्तावेज पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के शरणार्थियों को अतिरिक्त भूमि और त्वरित वित्तीय लाभ के झूठे वादों के तहत प्राप्त किए गए थे। इन दस्तावेजों का उपयोग कस्टोडियन भूमि को अवैध रूप से हस्तांतरित करने के लिए किया गया।
पिछले मामलों के संदर्भ में:
यह नवीनतम खोज एक पूर्व मामले के बाद हुई है, जिसमें एसीबी ने 210 कनाल कस्टोडियन भूमि पर अवैध कब्जे का खुलासा किया था। उस मामले में पांच एफआईआर दर्ज की गई थीं। वर्तमान में, नए साक्ष्यों के आधार पर, एसीबी ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत 10 एफआईआर दर्ज की हैं, जिनमें आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी, जालसाजी और अन्य आरोप शामिल हैं।
तलाशी और अभियान:
विशेष भ्रष्टाचार निरोधक अदालत द्वारा जारी किए गए तलाशी वारंट के आधार पर, एसीबी अधिकारियों ने जम्मू में 12 स्थानों पर अभियान चलाया। इस अभियान में स्वतंत्र गवाहों और मजिस्ट्रेटों के साथ तलाशी टीमों ने बड़ी मात्रा में दस्तावेज और साक्ष्य एकत्र किए।
भविष्य की योजना:
एसीबी ने अपनी जांच को जारी रखने का संकल्प लिया है और उम्मीद जताई है कि कस्टोडियन भूमि पर अवैध कब्जे की जांच के आगे बढ़ने पर और भी भूमि घोटाले उजागर हो सकते हैं। इस अभियान का उद्देश्य भू-माफिया और सरकारी अधिकारियों के बीच भ्रष्ट गठबंधन को खत्म करना और राज्य को हुए वित्तीय नुकसान की भरपाई करना है।
जम्मू और कश्मीर में इस भूमि घोटाले का खुलासा भ्रष्टाचार के खिलाफ एसीबी की निरंतर और प्रभावी कार्रवाई की पुष्टि करता है। इस घोटाले की जांच के बाद, एसीबी ने ठोस कानूनी कदम उठाते हुए आरोपी अधिकारियों और भू-माफिया के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की है। यह कार्रवाई राज्य में भ्रष्टाचार को समाप्त करने और प्रशासनिक सुधारों की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।