News By:Pulse24 News Desk
अकोला – अकोला के अग्रसेन चौक पर स्थित कारमल स्कूल में 13 सितंबर को आयोजित एक कल्चरल प्रोग्राम के लिए ले जाए गए मुस्लिम समाज के झंडे को लेकर विवाद उत्पन्न हो गया। भाजपा, बजरंग दल और शिवसेना के नेताओं ने स्कूल पहुंचकर इस मामले पर विरोध दर्ज किया और स्कूल प्रशासन को चेतावनी दी कि भविष्य में केवल भारत देश के झंडे का ही उपयोग किया जाए।
घटनाक्रम का विवरण
13 सितंबर को, कारमल स्कूल में एक कल्चरल प्रोग्राम की तैयारी की जा रही थी। इस दौरान स्कूल में विभिन्न समुदायों के झंडे लाए गए थे। जब मुस्लिम समाज के झंडे की तस्वीरें और वीडियो वायरल हुए, तो भाजपा के पवन महल्ले, बजरंग दल के भरत मिश्रा और शिवसेना के नितिन मिश्रा ने स्कूल में जाकर इसका विरोध किया। उन्होंने स्कूल प्रशासन को निर्देशित किया कि भविष्य में किसी भी धार्मिक झंडे का उपयोग न किया जाए, और चेतावनी दी कि अगर ऐसा हुआ तो बड़ा आंदोलन किया जाएगा।
स्कूल प्रशासन का बयान
स्कूल के फादर ने इस विवाद पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि झंडे स्कूल में केवल प्रैक्टिस के दौरान लाए गए थे। उनका उद्देश्य केवल प्रोग्राम की तैयारी था, न कि किसी धार्मिक भावना को ठेस पहुंचाना। उन्होंने स्पष्ट किया कि स्कूल में विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक प्रोग्राम के दौरान केवल संबंधित झंडे ही लगाए जाते हैं – जैसे शिवाजी महाराज की जयंती के दौरान भगवा झंडा, मुस्लिम समाज के प्रोग्राम के दौरान हरा झंडा, और स्वतंत्रता दिवस व गणतंत्र दिवस पर तिरंगा झंडा। इनका उद्देश्य केवल सांस्कृतिक विविधता और आपसी भाईचारे का संदेश देना है।
हिंदू संगठनों की प्रतिक्रिया
स्कूल में पहुंचे हिंदू संगठनों ने विरोध प्रदर्शन के दौरान जमकर नारेबाजी की और ‘जय श्रीराम’ के नारे लगाए। उन्होंने स्कूल प्रशासन से मांग की कि भविष्य में किसी भी धार्मिक झंडे का उपयोग न किया जाए और मामले में उचित कार्रवाई की जाए।
पुलिस की भूमिका
मामले की गंभीरता को देखते हुए, रामदासपेठ थाने के थानाध्यक्ष मनोज बहूरे अपने दलबल के साथ स्कूल में पहुंचे। उन्होंने स्थिति को समझाया और सभी को शांति बनाए रखने की अपील की। थानाध्यक्ष ने सभी पक्षों को समझाया और सुनिश्चित किया कि किसी भी विवाद की स्थिति उत्पन्न न हो, इसके लिए सभी को स्कूल से रवाना कर दिया गया।
अकोला के कारमल स्कूल में झंडे को लेकर उत्पन्न हुए विवाद ने स्थानीय समुदायों के बीच तनाव उत्पन्न कर दिया है। हालांकि, स्कूल प्रशासन ने अपने फैसले का बचाव किया है, लेकिन हिंदू संगठनों की मांग को लेकर स्थिति अभी भी संवेदनशील बनी हुई है। पुलिस प्रशासन ने शांति बनाए रखने की कोशिश की है और सभी पक्षों को समझाया है कि धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने से बचने के लिए सभी को संयम बनाए रखना चाहिए।