News By:Pulse24 News Desk
पुरी – भारत के पावन धाम, जगन्नाथ धाम में 15 से 17 सितंबर तक देशभर से आए साधु संतों का महा समागम और तीन दिवसीय सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है। इस सम्मेलन की तैयारियाँ अंतिम चरण में पहुँच चुकी हैं। इस आयोजन को विश्व सनातन धर्म सेवा ट्रस्ट के चेयरमैन पंडित श्री काशीनाथ मिश्र जी के नेतृत्व में आयोजित किया जा रहा है।
सम्मेलन की मुख्य विशेषताएँ:
- आयोजन का उद्देश्य: इस सम्मेलन का प्रमुख उद्देश्य सनातन धर्म के प्रसार और प्रचार के लिए साधु संतों को एक मंच पर लाना है। सम्मेलन का मुख्य लक्ष्य सनातन धर्म की हक, साधु संतों का सम्मान, धर्म की परंपरा और मंदिरों की सुरक्षा को लेकर एकजुट आवाज उठाना है।
- सम्मेलन की योजना: साधु संत वैदिक परंपराओं के अनुसार घर-घर भागवत पठन, संध्या के धारा का पालन और अन्य धार्मिक गतिविधियों के लिए रैलियाँ और मीडिया के माध्यम से प्रचार करेंगे। इसके अतिरिक्त, वे भारत सरकार से सनातन धर्म के अधिकारों के लिए अपील करेंगे और विश्व स्तर पर धर्म का प्रचार करेंगे।
- राष्ट्रीय स्टैंडिंग कमिटी: सम्मेलन में एक राष्ट्रीय स्टैंडिंग कमिटी का गठन किया जाएगा जो संध्या धर्म के पालन और प्रचार की गतिविधियों को सुचारू रूप से संचालित करेगी।
सिद्ध बकुल मठ परिसर में संत सभा:
- गजपति महाराज का आगमन: सिद्ध बकुल मठ परिसर में आयोजित संत सभा में गजपति महाराज दिव्य सिंह देव जी ने भी भाग लिया। उन्होंने भारत में रहने वाले सभी साधु संतों को सम्मान देने और हिंदुत्व को बनाए रखने की बात की। उन्होंने कहा कि श्री क्षेत्र में सभी पुराने पीठों का पूर्ण उद्धार आवश्यक है और श्री जगन्नाथ संस्कृति का जोर-शोर से प्रचार होना चाहिए।
- स्वर्गीय महंत हरिदास जी की जीवनी: गजपति महाराज ने सम्मेलन के दौरान स्वर्गीय महंत हरिदास जी की जीवनी पर एक पुस्तक का विमोचन किया, जिसे सभी उपस्थित संतों और महंतों के समक्ष प्रस्तुत किया गया।
महत्वपूर्ण चर्चाएँ और निर्णय:
- धर्म का प्रचार: सम्मेलन के दौरान देश के विभिन्न मठों से आए महंतों ने हिंदू धर्म के प्रचार और प्रसार पर महत्वपूर्ण चर्चा की। यह चर्चा धर्म के व्यापक प्रचार के लिए नए उपायों और योजनाओं पर केंद्रित रही।
- संतों की भागीदारी: सम्मेलन में देशभर के विभिन्न मठों से आए महंतों ने शामिल होकर इस आयोजन को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
जगन्नाथ धाम में आयोजित यह महा सम्मेलन सनातन धर्म की परंपरा और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। इस सम्मेलन ने धर्म के प्रचार और साधु संतों की भूमिका को उजागर किया है। आने वाले दिनों में यह सम्मेलन भारतीय समाज में धार्मिक और सांस्कृतिक जागरूकता को नई दिशा प्रदान करेगा।