उत्तर प्रदेश, मेरठ नगर निगम के नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. हरपाल सिंह को लेकर गंभीर आरोप सामने आ रहे हैं। हाल ही में किए गए भ्रष्टाचार के आरोप और कूड़े के ढेर, नालों में गंदगी की समस्याओं के बीच नगर निगम के स्वास्थ्य अधिकारी के खिलाफ उठे सवालों ने शहर में हड़कंप मचा दिया है।
स्वच्छता मिशन में लापरवाही और भ्रष्टाचार
नगर निगम में नगर स्वास्थ्य अधिकारी के रूप में कार्यरत डॉ. हरपाल सिंह, जो कि पेशेवर पशु चिकित्सक हैं, पर स्वच्छ भारत मिशन के तहत कूड़ा उठाने वाली गाड़ियों के मामलों में गंभीर अनियमितताओं के आरोप लगे हैं। जांच कमेटी ने डॉ. हरपाल सिंह को दोषी पाया है, लेकिन उन्हें पद से हटाया नहीं गया है।
जांच कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार, कूड़ा उठाने वाली गाड़ियों की सूची में अनियमितता पाई गई। 43 गाड़ियों की जगह 60 गाड़ियाँ रिपोर्ट में शामिल की गईं, जिसमें से 20 गाड़ियाँ कंकर खेड़ा और 12 गाड़ियाँ दिल्ली डिपो में पाई गईं, जबकि 28 गाड़ियाँ गायब मिलीं। इस घोटाले में डॉ. हरपाल सिंह और उनके सहयोगियों मयंक मोहन और नमन जैन को जिम्मेदार ठहराया गया।
सामाजिक जागरूकता और विरोध
शहर के जागरूक नागरिकों ने इस मुद्दे को उजागर करने के लिए नगर निगम के स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. हरपाल सिंह के खिलाफ कई स्थानों पर पोस्टर लगाए हैं। इन पोस्टरों में “मेरठ को बचाना है तो हरपाल सिंह को हटाना है” और उनकी सीबीआई जांच की मांग की गई है। पोस्टरों में कूड़े के ढेर, गंदगी, नालों की समस्याओं और आवारा पशुओं की तस्वीरें भी शामिल की गई हैं।
विरोधी कर्मचारियों के मुद्दे
नगर निगम में भ्रष्टाचार की जड़ें गहरी होने की बात भी सामने आई है। राजेश और धर्मेश जैसे कर्मचारी पिछले 22 वर्षों से एक ही पद पर डटे हुए हैं। जबकि सरकारी नौकरी में लगातार सुधार की अपेक्षा होती है, ये कर्मचारी नेताओं के साथ गाजियाबाद में मीटिंग करते नजर आ रहे हैं, जो सरकारी नौकरी के नियमों के खिलाफ है।
जिला अधिकारी ने एक कर्मचारी को सस्पेंड किया था, लेकिन धर्मेश जैसे बाहुबली कर्मचारी को सस्पेंड करने में असमर्थ रहे। यह स्थिति दर्शाती है कि नगर निगम में बदलाव की प्रक्रिया कितनी मुश्किल हो चुकी है।
मेरठ नगर निगम की स्वच्छता व्यवस्था और उसके प्रशासनिक ढांचे में गहराई से छानबीन की आवश्यकता है। डॉ. हरपाल सिंह और अन्य अधिकारियों के खिलाफ उठाए गए आरोप और भ्रष्टाचार की जांच यह दर्शाती है कि सिस्टम में सुधार की आवश्यकता है। नागरिकों की जागरूकता और निरंतर निगरानी इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम हो सकते हैं।
नगर निगम की व्यवस्था में सुधार के लिए प्रभावी कार्रवाई की आवश्यकता है ताकि जनता को एक साफ और सुरक्षित शहर मिल सके।