NewsBy:Pulse24NewsDesk
हुबली: दशहरे के उद्घाटन समारोह में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के शामिल होने को लेकर भाजपा सांसद जगदीश शेट्टर ने तीखी आलोचना की। शेट्टर ने कहा, “यदि सिद्धारमैया पाखंड लेकर गए हैं, तो इससे समाज को कोई लाभ नहीं होगा।” उन्होंने मुख्यमंत्री पर आरोप लगाया कि उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर के चलते उन्हें समारोह में शामिल नहीं होना चाहिए।
नैतिकता की मांग
शेट्टर ने यह भी कहा कि नैतिक जिम्मेदारी के तहत सिद्धारमैया को इस्तीफा देना चाहिए, जो कि उनकी राजनीतिक जिम्मेदारी का सही प्रदर्शन होगा। उन्होंने कहा, “जब येदियुरप्पा ने नैतिकता की बात की थी, तब सिद्धारमैया ने क्या कहा था? अब जब खुद उनके खिलाफ एफआईआर है, तो उन्हें इस स्थिति को समझना चाहिए।”
जांच की ईमानदारी पर सवाल
शेट्टर ने यह भी सवाल उठाया कि किस तरह के अधिकारी ऐसी जांच कर सकते हैं जब उनके ऊपर ऐसे गंभीर आरोप हों। उन्होंने कहा, “सिद्धारमैया को अपने बयानों का ध्यान रखना चाहिए।” इसके अलावा, उन्होंने माडो यात्रा को भी अनावश्यक करार दिया।
यत्नाल के विवादास्पद बयान पर चुप्पी
जगदीश शेट्टर ने यत्नाल के उस बयान पर कोई टिप्पणी करने से मना कर दिया, जिसमें कहा गया था कि सिद्धारमैया ने मुख्यमंत्री बनने के लिए एक हजार करोड़ रुपये लिए थे। शेट्टर ने स्पष्ट किया, “मैं यत्नाल के बयान पर कोई टिप्पणी नहीं करूंगा। यह पार्टी का मामला है और आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।”
राजनीति में नफरत का आरोप
शेट्टर ने पूर्व मुख्यमंत्री कुमारस्वामी पर भी निशाना साधा, उन्हें “नफरत की राजनीति” करने वाला बताया। उन्होंने कहा कि यह सभी राजनेताओं पर लागू होता है, जो इस तरह की राजनीति कर रहे हैं। “यह सब पहले से चल रहा है। अब एफआईआर और आरोपों का खेल जारी है,” उन्होंने कहा।
केंद्रीय मंत्रियों पर कार्रवाई
शेट्टर ने केंद्र में मौजूद मंत्रियों पर भी सवाल उठाए, यह कहते हुए कि एफआईआर केवल राजनीतिक खेल का हिस्सा हैं। उन्होंने कहा, “यदि कार्रवाई करनी है, तो मुकदमा जरूरी नहीं है।” इस संदर्भ में उन्होंने निर्मला सीतारमण का नाम लिया, जिनके खिलाफ हाल में एफआईआर दर्ज की गई है।
इलेक्ट्रोल बांड और ईडी की भूमिका
शेट्टर ने यह भी आरोप लगाया कि इलेक्ट्रोल बांड का उपयोग केवल राजनीतिक लाभ के लिए किया जा रहा है। “क्या किसी ने केंद्र सरकार से अन्याय की शिकायत की है? यह साफ है कि कुछ लोग निशाना बना रहे हैं,” उन्होंने कहा।
जगदीश शेट्टर का बयान न केवल सिद्धारमैया के खिलाफ है, बल्कि यह एक व्यापक राजनीतिक परिदृश्य को दर्शाता है, जिसमें आरोप-प्रत्यारोप और नैतिकता की बातें चल रही हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि ऐसे मामलों में न केवल एफआईआर बल्कि ईमानदारी से जांच की जरूरत है।शेट्टर ने यह भी कहा कि “कांग्रेस पार्टी को भी इस धन के लेनदेन में शामिल होना पड़ा है,” जो दिखाता है कि राजनीति में किस तरह की स्थितियां उत्पन्न हो रही हैं। उनका कहना है कि ऐसे मामलों में केवल आरोप लगाना नहीं, बल्कि उचित कार्रवाई भी आवश्यक है।सार्वजनिक जीवन में नैतिकता का महत्व और आरोपों की गंभीरता को देखते हुए, यह देखना होगा कि क्या सिद्धारमैया और अन्य नेता इस स्थिति को गंभीरता से लेते हैं या फिर केवल राजनीतिक खेल में लगे रहते हैं।