NewsBy-Pulse24 News Desk
कोरबा , छत्तीसगढ़ – कोरबा जिले के अंतिम छोर पर बसे गांवों की अपनी विशिष्ट पहचान होती है—शहर से दूर, अपनी जीवनशैली और परंपराओं के साथ। यहाँ दूर-दूर फैले घर, हरे-भरे पेड़, छोटी-छोटी बाड़ियाँ और सरल जीवन की झलक दिखाई देती है। हालांकि, इन गांवों में अधिकतर घर कच्चे होते थे—मिट्टी और खपरैल के बने, जिनमें रहने वाले लोगों का पक्का मकान कभी सपना भर हुआ करता था। परंतु अब,कोरबा , छत्तीसगढ़ -इन सपनों को साकार करना शुरू कर दिया है।
वहां के निवासी गुनगुना रहे हैं – कच्चे मकानों की यादें होंगी पीछे, गरीबों के घरों में मजबूत नींव से खड़ा हो रहा है सपनों का आशियाना।
जिले के पोड़ी उपरोड़ा के अंतिम छोर पर बसे गांव पतुरियाडाँड़ के निवासी गुलाब सिंह ने अपनी जिंदगी का बड़ा हिस्सा कच्चे मकान में गुजार दिया था। खेती-बाड़ी और मजदूरी से जैसे-तैसे गुजारा करने वाले गुलाब सिंह ने कभी नहीं सोचा था कि एक दिन उनका भी पक्का मकान होगा। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मिले अनुदान ने उनके इस सपने को साकार कर दिया है। गुलाब सिंह कहते हैं, “जब खाते में पैसा आया, तो जैसे सपनों को पंख मिल गए। अब मैं अपने पक्के मकान में रहूंगा, जो मजबूत नींव पर खड़ा होगा।”
पिंकी पैकरा, जो इसी गाँव की निवासी हैं, अपने पक्के मकान के निर्माण की प्रतीक्षा कर रही हैं। वह कहती हैं, “कच्चे मकान में बहुत दिक्कतें झेलनी पड़ीं, खासकर बारिश के दिनों में। अब पक्का मकान बनने के बाद सुकून से रह सकूंगी।”
गाँव के अन्य लाभार्थियों में पंचराम और उनकी पत्नी रूपकुंवर भी शामिल हैं, जिन्होंने अपने घर का निर्माण लगभग पूरा कर लिया है। अब केवल प्लास्टर का काम बाकी है। इसी तरह लबदराम, जो पीएम आवास योजना के लाभार्थी हैं, बताते हैं कि वे भी जल्द ही अपने कच्चे मकान को अलविदा कह देंगे और पक्के मकान में रहेंगे।
इन सभी ग्रामीणों ने प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री का धन्यवाद करते हुए अपने सपनों के आशियाने को हकीकत में बदलने के लिए आभार प्रकट किया। उनके लिए यह योजना न केवल एक सरकारी पहल है, बल्कि उनके जीवन को स्थायित्व और सम्मान देने वाली एक मजबूत नींव है।