NewsBy-Pulse24 News Desk
भीलवाड़ा , राजस्थान – काछोला तहसील, कस्बे की नई आबादी में हैमिट्टी से निर्मित रावण की प्रतिमा का तीर से वध किया जाता। करीब सात सौ सालों से चली आ रही परंपरा आज भी कायम है। इससे पूर्व श्रद्धालु लक्ष्मीनाथ के मंदिर से शोभायात्रा निकालते हैं। इसमें 84 गांव चौखला के ग्रामीण भाग लेते है।
रघुनाथ मंदिर के पुजारी डाक्टर कैलाशचंद्र वैष्णव ने बताया कि भगवान श्रीराम लक्ष्मीनाथ के वैवाण में विराजकर दशहरा मैदान तक पहुंचते हैं। उसके बाद राम और रावण की सेना द्वारा मिट्टी से निर्मित रावण के पुतले के सामने उग्र रूप से व्यंग्य प्रहार होता है। इस पर रावण की सेना राम की सेना से हार जाती है।
उसके बाद भगवान श्रीराम के जयकारों के साथ रावण के पुतले में लक्ष्मी नाथ के मंदिर के मुख्य पंडित पुरुषोत्तम पाराशर के सानिध्य में तीर कमान से रावण की नाभि में प्रहार किया जाता है , रावण वध होता है। राम की सेना जयकारे लगाते हुए ढोल नगाड़ा बाजे के साथ फिर मुख्य मार्ग से होते हुए लक्ष्मीनाथ मंदिर तक पहुंचती है। यहां पर भगवान की महाआरती होती है और प्रसाद वितरित किया जाता है।
व्यंग्यात्मक लहजे में दोनों सेनाएं करती है प्रहार
कस्बे के मध्य भगवान लक्ष्मीनाथ ऐतिहासिक व अतिप्राचीन मंदिर है। यहां से मुख्य पुजारी पुरुषोत्तम पाराशर के साथ गांव के वरिष्ठ जन गाजे-बाजे और ढोल नगाड़ों के साथ एवं राम और रावण की सेना वाद-विवाद व्यंग्य करती हुई सदर बाजार होते हुए नई आबादी दशहरा मैदान तक पहुंचते हैं। राम और रावण की सेना के सेनापति आपस में व्यंग्य बोलकर संवाद करते हैं एवं एक दूसरे पर व्यंग्यात्मक संस्कृत मुहावरे के माध्यम से प्रहार करते हैं।
शोभायात्रा का ग्रामीण पुष्पवर्षा कर स्वागत करते हैं। शोभायात्रा 2 से 3 घंटे तक दशहरा मैदान तक पहुंचने पर दोनों सेनाओं की ओर से व्यंग्यात्मक मुहावरों से लोगों का मन मोह लिया जाता है।