बनास नदी का अवैध खनन: मांडलगढ़ विधानसभा क्षेत्र में पर्यावरण को हो रहा है गंभीर खतरा

बनास नदी का अवैध खनन: मांडलगढ़ विधानसभा क्षेत्र में पर्यावरण को हो रहा है गंभीर खतरा

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भीलवाड़ा,राजस्थान – मांडलगढ़ विधानसभा क्षेत्र में विशाल क्षेत्रफल में फैली,मेवाड़ की गंगा कहलाने वाली बनास नदी को बजरी माफिया ने छलनी कर दिया हैं, बनास नदी दुर्दशा का शिकार हो रही है। नदी के पानी ही नहीं,पत्थर के ढेर नजर आने लगे हैं। जिससे क्षेत्र के भूजल पुनर्भरण पर भी खतरा मंडराता नजर आ रहा है। अंधाधुंध ओर बेतरतीब के साथ गहराई तक अवैध बजरी खनन से नदी का प्राकृतिक स्वरूप बिगड़ने के साथ बहाव भी गड़बड़ाने लगा है। बीगोद थाना क्षेत्र के बिलिया में दिन हो या रात, नदी में अवैध बजरी खनन चलता है। हालात ये हो गए कि बरसात के मौसम में भी इस नदी में तेज बहाव नहीं आया है।

नदी में बजरी की बजाय गोल-बड़े पत्थर दिखते हैं

रलायता ओर बिलिया के ग्रामीणों ने बताया कि बनास नदी में 6-7 मीटर तक गहरे गढ्डे पड़ गए हैं। बलिया गोपालपुरा, मानपुरा, रलायता, गोपालपुरा जालिया के निकट स्थित बनास नदी में एक दर्जन से अधिक जेसीबी मशीनों से बजरी माफिया द्वारा चोरी छुपे पूरी रात बजरी खनन
किया जाता है। पर्यावरण, खनिज, राजस्व व जलसंसाधन विभाग के अधिकारी आँख मूंद कर बैठे हैं।

अवैध बजरी खनन नहीं रुका तो भूजल हो जाएगा दूषित

भूजल वैज्ञानिकों का मानना है कि रलायता, बिलिया में बजरी माफिया सक्रिय है। सैकड़ों ट्रैक्टर ट्रॉली, ट्रेलर व डंपर से कोटा, बूंदी, झालावाड़ तक बजरी का अवैध परिवहन धड़ल्ले से हो रहा है। बिलिया की बनास नदी से बजरी भरे वाहन मानपुरा,महुआ, श्यामपुरा, जलिन्द्री ओर बिजौलियां होकर बूंदी कोटा तक जा रहे है।

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बनास बचाओ समिति का कहना है कि नदी में बजरी नहीं रहने से प्राकृतिक जल शुद्धि प्रक्रिया दूषित होगी। समिति की ओर से अवैध खनन रोकने की मांग पर कई बार आंदोलन कर चुके हैं। परंतु माइनिंग विभाग बिजोलिया एवं पुलिस प्रशासन सहित प्रशासन मौन है । इन बजरी माफिया के खिलाफ ।


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